शिमला, 14 मार्च (निस)
हिमाचल प्रदेश में दो बिस्वा भूमि पर झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले शहरी गरीबों को मालिकाना हक मिलेगा। विपक्ष ने इसे जल्दबाजी में लाया विधेयक बताते हुए सदन से वाकआउट कर दिया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। फैसले के मुताबिक 1974 से पहले झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे शहरी गरीबों को यह अधिकार दिया जाएगा। इस मुद्दे को लेकर सरकार कानून में संशोधन करेगी। कानून में संशोधन के बाद प्रदेश के शहरी इलाकों में रह रहे सैंकड़ों परिवारों को राहत मिलेगी। मालिकाना हक मिलने के बाद न सिर्फ ये गरीब इस भूमि पर मकान बनाने के लिए ऋण ले सकेंगे, बल्कि नक्शा पास करवाने का झंझट भी खत्म होगा।
माननीयों को प्रदेश से बाहर रहने की होने वाली दिक्कत को देखते हुए तीन साल पहले इन्हें रोजाना 7500 रुपए की दर पर खर्च कर रहने की व्यवस्था की सुविधा प्रदान की थी। मगर आज मंत्रिमण्डल ने माननीयों के रहने के खर्च की तय सीमा को समाप्त कर दिया गया है। अहम बात ये है कि पूर्व विधायकों को छोड़ दें तो सभी माननीय 4 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे, जबकि पूर्व विधायक 2 लाख रुपये खर्च करने के दायरे तक सीमित रहेंगे। पूर्व कांग्रेस सरकार की तर्ज पर भाजपा सरकार भी दिल्ली में मीडिया कॉर्डिनेटर की नियुक्ति करेगी। मीडिया कॉर्डिनेटर को हर माह 90 हजार रुपए मानदेय मिलेगा।
छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफरिशों के मुताबिक संशोधित वेतनमान देने के मुद्दे को लेकर सरकार ने कर्मचारियों को 15 फीसद वेतन बढ़ोतरी का तीसरा विकल्प भी प्रदान कर दिया है। मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी प्रदान की गई। उल्लेखनीय है कि बीते 3 जनवरी को सरकार ने कर्मचारियों को संशोधित वेतन मान देने को लेकर अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना में 2.25 व 2.59 मैट्रिक्स का ही विकल्प कर्मचारियों को दिया गया था। इसके बाद कर्मचारी संगठनों ने 15 फीसद वेतन बढ़ोतरी का विकल्प उन्हें देने की मांग उठाई। कर्मचारियों की मांग के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसकी घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा को अमलीजामा पहनाने के मकसद से मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी प्रदान की।