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-नहीं होगा उत्तर पुस्तिकाओं का दूसरी बार पुनर्मूल्यांकन

अदालत ने कहा-ऐसी कोई भी रियायत देने से खुल जायेगा भानुमती का पिटारा
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उत्तरपुस्तिकाओं का दूसरी बार पुनर्मूल्यांकन करवाने की मांग खारिज कर दी है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता के प्रति दिखाई गई ऐसी कोई भी रियायत भानुमती का पिटारा खोल देगी। इससे सैकड़ों या हज़ारों छात्र इसी राहत की प्रार्थना करते हुए न्यायालय का रुख कर सकते हैं। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि याचिका में कोई योग्यता नहीं है, क्योंकि प्रतिवादी- स्कूल शिक्षा बोर्ड के नियमों और विनियमों के अनुसार, केवल एक बार ही अभ्यर्थी द्वारा पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करने का प्रावधान है। चूंकि प्रार्थी इस अधिकार का इस्तेमाल कर चुकी है। इसलिए उसे एक बार और यह अधिकार नहीं दिया जा सकता। प्रार्थी के एक बार के पुनर्मूल्यांकन में अंग्रेजी और कंप्यूटर विज्ञान विषय में एक-एक अंक बढ़ा दिए गए थे।

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कोर्ट ने कहा कि अब यदि, याचिकाकर्ता के अनुरोध पर, न्यायालय प्रतिवादी-बोर्ड को पुनः उत्तरपुस्तिकाओं की जांच या पुनर्परीक्षण करने का निर्देश देता है, तो यह निर्देश न केवल प्रतिवादी-बोर्ड के नियमों और विनियमों के विरुद्ध होगा, बल्कि यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के भी विरुद्ध होगा।

याचिकाकर्ता का कहना था कि वह 10+2 अंतिम परीक्षा, 2025 में शामिल हुई थी, जिसका परिणाम 17.05.2025 को घोषित किया गया था। इन परीक्षाओं के संदर्भ में, याचिकाकर्ता ने अंग्रेजी विषय में 73 अंक प्राप्त किए थे। परिणाम की प्रारंभिक घोषणा के बाद, चूकि सही उत्तरों के अनुपात में अंक न दिए जाने के संबंध में कुछ आरोप थे, इसलिए प्रतिवादी-बोर्ड ने स्वयं पुनः जांच की प्रक्रिया शुरू की। बाद में घोषित परिणाम से पता चला कि याचिकाकर्ता ने अंग्रेजी विषय में 73 अंकों के बजाय अब 86 अंक प्राप्त किए थे।

यह है पूरा मामला

याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी-बोर्ड के नियमों और विनियमों के अनुसार पुनर्मूल्यांकन के लिए फिर से आवेदन किया और पुनर्मूल्यांकन का परिणाम 23.08.2025 को घोषित किया गया, जिसके अनुसार, याचिकाकर्ता के अंग्रेजी और कंप्यूटर विज्ञान विषयों में एक-एक अंक की वृद्धि की गई। अब याचिकाकर्ता फिर से चाहती है कि कोर्ट प्रतिवादियों को उसके पेपरों का पुनर्मूल्यांकन/पुनर्परीक्षण करने का आदेश दे, क्योंकि उसे आशंका है कि उसने उसे दिए गए अंकों से अधिक अंक प्राप्त किए हैं और वह पुनर्मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं है। बोर्ड का कहना था कि नियमों में दूसरी बार पुनर्मूल्यांकन का कोई प्रावधान नहीं है।

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