हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन विपक्ष तीन बार सदन से उठकर बाहर गया। यही नहीं विपक्ष के हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष को एक बार सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित भी करनी पड़ी। विधानसभा में पहली बार विपक्षी सदस्य प्रश्नकाल के दौरान हिमकेयर को लेकर स्वास्थ्य मंत्री के जवाब से असतुंष्ट होकर नारे लगाते हुए सदन से बाहर गए तथा कुछ ही समय में फिर से सदन में वापस लौट आए। प्रश्नकाल के बाद प्वाईंट ऑफ ऑर्डर के माध्यम से राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर टिप्पणी की तो विपक्षी सदस्य अपनी-अपनी सीटों पर खड़े हो गए और नारेबाजी की। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने दोनों पक्षों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन विपक्षी सदस्य सदन से बाहर चले गए। इस दौरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर जब मुख्यमंत्री थे तो वे अहंकारी बन गए थे। उन्होंने जनजातीय सलाहकार परिषद के संवैधानिक पद पर गैर संवैधानिक व्यक्ति को बिठाया। इस पर वे हाईकोर्ट गए और न्यायालय ने कहा कि लाभ के पद पर बैठा व्यक्ति संवैधानिक पद पर नहीं बैठ सकता है। इसी तरह लाडा का अध्यक्ष स्थानीय विधायक को न बनाकर डी.सी. को बनाया।
इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष ने शून्यकाल शुरू किया तथा विधायक केवल सिंह पठानिया ने अपना मामला उठाया, लेकिन विपक्षी सदस्य शोर-शराबा करने लगे। विधायक रणधीर शर्मा को प्वाइंट ऑफ आर्डर के तहत अपनी बात रखने का मौका दिया, जिसे बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही से हटा दिया। इसके बाद सदन में माहौल तनावपूर्ण हो गया और सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष के बार-बार आग्रह करने के बाद भी माहौल शांत न होने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
इसके बाद जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा अध्यक्ष से राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी को अपनी बात कहने का मौका देने की मांग की। उन्होंने कहा कि जगत सिंह नेगी सम्मानित मंत्री हैं और संवैधानिक पद पर हैं। विपक्षी सदस्य यदि वाकआऊट करेंगे तो इससे सरकार की कार्यप्रणाली पर असर नहीं पड़ेगा। विपक्ष ने संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति पर टिप्पणी की है तो मंत्री को बोलने का मौका दिया जाना चाहिए।
इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों को शांत करने का प्रयास किया। इस दौरान विपक्ष के सदस्य कुछ कहना चाह रहे थे, लेकिन अध्यक्ष ने इसकी अनुमति नहीं दी। इससे नाराज विपक्ष सदन से नारेबाजी करते हुए बाहर चला गया। विपक्ष द्वारा बार-बार वाकआउट करने पर संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने इसकी निंदा। वहीं, विपक्ष की गैरमौजूदगी में फिर सदन की कार्यवाही चली और विपक्ष दोपहर के भोजन के बाद ही सदन में लौटा।
आरोप नहीं, सुझाव दें : विक्रमादित्य सिंह
हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा पर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी मंथन जारी रहा। इस दौरान विपक्षी दल भाजपा के विधायकों ने आपदा प्रबंधन को लेकर सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई, जबकि सत्ता पक्ष कांग्रेस के विधायकों ने सरकार का बचाव किया। भाजपा के वरिष्ठ नेता व विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने काम रोको प्रस्ताव पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि हिमाचल में लगातार हो रही बारिश और उससे उपजे हालातों ने राज्य को प्राकृतिक नहीं बल्कि इंसानी आपदा की ओर धकेल दिया है। हर मौसम में बादल फटने और बाढ़ से जानमाल का भारी नुकसान हो रहा है। गगरेट के विधायक राकेश कालिया ने कहा कि हिमालय क्षेत्र में ही ऐसी आपदाएं क्यों आ रही हैं, यह समझना ज़रूरी है। कांग्रेस विधायक रामकुमार चौधरी ने कहा कि बरसात ने हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ में भी बर्बादी के निशान छोड़े हैं। वहीं लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सरकार आपदा को लेकर पूरी तरह संवेदनशील है। केवल आरोप लगाने से कुछ नहीं होगाए सभी विधायकों को सकारात्मक सुझाव देने चाहिए।
आपदा पीड़ितों को अब मिलेंगे 7.70 लाख
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने ऐलान किया कि प्रदेश के आपदा पीड़ितों को दिया जा रहा राहत पैकेज 7 लाख रुपए का नहीं, बल्कि 7 लाख 70 हजार रुपए का होगा। उन्होंने मंगलवार को विधानसभा में इसका खुलासा करते हुए कहा कि सरकार ने इस बार अपने राहत पैकेज को बढ़ाया है। क्योंकि प्रदेश में आपदा की वजह से लोगों को बड़ा नुकसान हुआ है और लोगों का सामान तक इसमें बह गया। ऐसे में सरकार ने लोगों को उनके बर्तन व अन्य सामान देने के लिए भी 70 हजार रुपए की व्यवस्था इस पैकेज में की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 7 लाख रुपए प्रभावितों को तुरंत नहीं मिलेंगे।