शिमला, 15 अप्रैल (हप्र)
हिमाचल प्रदेश को केंद्र से मिलने वाले राजस्व घाटा अनुदान में लगातार कमी हो रही है। 15वें वित्तायोग की सिफारिशों के तहत केंद्र से मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान की राशि में इस साल हर माह करीब 150 करोड़ की कमी हुई है। राजस्व घाटा अनुदान में कमी होने से प्रदेश सरकार को वेतन व अन्य बढ़ते खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज पर निर्भर रहना होगा। हिमाचल की आर्थिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है। कमजोर आर्थिक सेहत की वजह से प्रदेश को केंद्र से वित्तायोग की सिफारिश के तहत मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान की राशि संजीवनी का काम करती है। मगर बीते कुछ सालों से वित्तायोग की सिफारिशों के तहत प्रदेश को मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान राशि में कमी आ रही है। हालांकि इसमें कोई सियासत का मुद्दा नहीं, क्योंकि वित्तायोग समूचे देश के लिए एक तय फार्मूले के तहत ही राजस्व घाटा अनुदान की मंजूरी करता है, मगर हिमाचल जैसे कमजोर वित्तीय सेहत वाले राज्यों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता है। 15वें वित्तायोग ने प्रदेश के लिए राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर 2021-22 से 2025-26 तक के वित्तीय वर्षों के लिए 37199 करोड़ की रकम मंजूर की। इससे पहले कोरोना काल में भी 2020-21 में हिमाचल को राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर 11431 करोड़ की रकम केंद्र ने मुहैया करवाई। मगर वित्तायोग की सिफारिशों के तहत राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर मिलने वाली कुल रकम में से करीब 85 फीसद पहले तीन सालों में ही राज्यों को मिलेगी। अंतिम दो सालों में राज्य को सिर्फ 15 फीसद रकम राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर मिलनी है। केंद्र से राज्यों को जीएसटी मुआवजे के तौर पर मिलने वाली रकम जून 2022 से बंद है। जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के साथ बातचीत में मुआवजे की राशि सिर्फ 5 साल तक राज्यों को देने का फैसला हुआ था।