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हिमाचल की नदियों में बहकर आई लकड़ी अवैध कटान नहीं, आपदा का नतीजा

प्रदेश वन विभाग ने दी क्लीन चिट, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद की थी जांच
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हिमाचल प्रदेश वन विभाग ने राज्य में की ब्यास और रावी नदियों में बह कर आई लकड़ी को क्लीन चिट दे दी है। विभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में की गई जांच में यह क्लीन चिट दी गई है। वन विभाग की इस जांच में कहा गया है कि ब्यास और रावी नदियों में भारी मात्रा में बह कर आई लकड़ी अवैध रूप से नहीं काटी गई है, बल्कि यह लकड़ी इन नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा के कारण गिरे पेड़ों की है।

वन विभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालन में गठित जांच समिति ने चंबा जिले में रावी नदी और मंडी जिला की ब्यास नदी में आई लकड़ी को लेकर विस्तृत जांच कर अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि यह लकड़ी अवैध कटान का परिणाम नहीं, बल्कि हालिया अत्यधिक बारिश, भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण नदी में बहकर आई है।

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समिति ने जांच में कहा कि हिमाचल में अगस्त और सितंबर में क्रमश: 89 प्रतिशत और 138 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। इस कारण रावी और विकास नदियों के जल ग्रहण क्षेत्रों में भारी भूस्खलन, कटाव और प्राकृतिक निकासी मार्गों में रुकावटें उत्पन्न हुईं। इससे जंगलों में पहले से गिरे और जड़ से उखड़े पेड़ बड़ी संख्या में बहकर आ गए।

रिपोर्ट के अनुसार, चंबा के शीतला पुल के समीप कुल 177 लकड़ी के लॉग बरामद किए गए। इनमें देवदार, कैल, फर, स्प्रूस, चीड़, कुर्स और पपलर जैसी प्रजातियां शामिल हैं। इसी तरह मंडी जिले के पंडोह डैम में भी बड़ी संख्या में नदी में बेहतर आई लकड़ी बरामद की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सारी लकड़ी प्राकृतिक रूप से उखड़ी हुई हैं और किसी भी प्रकार के अवैध कटान के सबूत नहीं मिले हैं। समिति ने रिपोर्ट में कहा कि मौके पर न तो किसी प्रकार की आरी या मशीन से कटी लकड़ी पाई गई और न ही कोई स्लीपर या तैयार माल बरामद हुआ। जब्त की गई समस्त लकड़ी को हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम को नियमानुसार निपटान के लिए सौंप दिया गया है। वन निगम अब इस लकड़ी की नियम अनुसार नीलामी करेगा।

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