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हिमाचल में दो गुणा हुई कैंसर की रफ्तार

हिमाचल प्रदेश में कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आईजीएमसी शिमला के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ वत्स के अनुसार प्रदेश में हर साल दो हजार के लगभग नए मामले सामने आते हैं और पिछले एक दशक...
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हिमाचल प्रदेश में कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आईजीएमसी शिमला के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ वत्स के अनुसार प्रदेश में हर साल दो हजार के लगभग नए मामले सामने आते हैं और पिछले एक दशक में यह संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी है। वर्ष 2024 में अकेले आईजीएमसी में बच्चेदानी के 215, ब्रेस्ट कैंसर के 157, लंग्स कैंसर के 367, पेट के 98 और हेड-नेक कैंसर के 180 मरीज इलाज के लिए पहुंचे। औसतन हर साल 350 से 400 लंग कैंसर, 172 से 200 बच्चेदानी और करीब 100 पेट के कैंसर के नए मामले दर्ज किए जाते हैं। विशेषज्ञ ने सुझाव दिया है कि गांव-गांव कैंसर जांच शिविर और स्कूलों-कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाए जाएं ताकि बीमारी शुरुआती चरण में ही पकड़ में आ सके और मरीज की जान बचाई जा सके।

महिलाओं और पुरुषों में अलग-अलग कैंसर बढ़े : डॉ. वत्स के मुताबिक हिमाचल में महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर तेजी से बढ़ रहे हैं, जबकि पुरुषों में लंग्स और पेट का कैंसर ज्यादा देखने को मिल रहा है। खासकर पेट के कैंसर के मामले अन्य राज्यों की तुलना में हिमाचल में अधिक मिल रहे हैं।

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लाइफस्टाइल और प्रदूषण है बड़ी वजह : विशेषज्ञ का मानना है कि लाइफस्टाइल में बदलाव, तंबाकू-धूम्रपान, गलत खानपान, पर्यावरण प्रदूषण और खेती में पेस्टिसाइड्स के अधिक इस्तेमाल से कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। डॉ. वत्स ने कहा कि हिमाचल के अधिकांश लोग खेतीबाड़ी से जुड़े हैं और खेतों में प्रयोग होने वाले कीटनाशक सीधे तौर पर खाने-पीने की चीजों को प्रभावित कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह इसके लिए वैज्ञानिक मानक तय करे, ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर असर न पड़े।

बचाव ही सबसे बड़ा उपाय : डॉ. वत्स का कहना है कि डिस्पोजेबल प्लास्टिक और केमिकल वाले बर्तनों की बजाय स्टील या कांच का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही लोगों को जागरूक होकर शुरुआती लक्षण दिखते ही जांच करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि तंबाकू से परहेज, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण से कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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