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टूटने लगा कर्मचारियों के सब्र का बांध

शिमला, 7 अप्रैल(हप्र) घोर वित्तीय संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ना तय है। पिछले कई सालों से वेतनमान के एरियर और अन्य वित्तीय लाभों का इंतजार कर...

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शिमला, 7 अप्रैल(हप्र)

घोर वित्तीय संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ना तय है। पिछले कई सालों से वेतनमान के एरियर और अन्य वित्तीय लाभों का इंतजार कर रहे प्रदेश के 1.90 लाख कर्मचारियों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। संशोधित वेतनमान के एरियर, डीए और अन्य वित्तीय देनदारियों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। इसी क्रम में शिमला में महासंघ की जिला स्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें कर्मचारियों ने सरकार की अनदेखी के खिलाफ गहरा रोष व्यक्त किया।

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बैठक में महासंघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र चौहान ने कहा कि संशोधित वेतनमान के एरियर की अब तक अदायगी नहीं हुई है और न ही महंगाई भत्ता (डीए) दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों में सरकार की इस उदासीनता को लेकर भारी नाराजगी है। बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी तीन महीनों के भीतर प्रदेश के सभी जिलों में अधिवेशन आयोजित किए जाएंगे और एक व्यापक आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

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महासंघ के महासचिव हीरालाल वर्मा ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि ओपीएस लागू करना सरकार का प्रमुख वादा था, लेकिन इसमें भी भेदभाव किया गया है। बिजली बोर्ड सहित निगमों और बोर्डों में ओपीएस अब तक लागू नहीं की गई है। वहीं दूसरी ओर, विधायकों ने अपनी सैलरी में बेतहाशा वृद्धि कर ली है, तब सरकार को आर्थिक तंगी नहीं दिखी।उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने सरकार बदलकर नई सरकार को मौका दिया था, लेकिन अब तक दोनों ही सरकारों में कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है। ऐसे में अब संयुक्त कर्मचारी महासंघ सरकार पर दबाव बनाने और आंदोलन के रास्ते पर जाने की तैयारी कर चुका है।महासंघ ने स्पष्ट किया है कि यदि समय रहते उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन का बिगुल बजाया जाएगा।

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