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हाईकोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला

शिमला, 31 मई (हप्र) हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में आरोपियों को बिना ट्रायल बरी करने के निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश राकेश कैंथला ने कहा कि...
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शिमला, 31 मई (हप्र)

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में आरोपियों को बिना ट्रायल बरी करने के निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश राकेश कैंथला ने कहा कि यदि आरोप तय करने के स्तर पर अभियुक्तों के खिलाफ गंभीर संदेह हो तो अदालत को आरोप तय करने होते हैं। बिना ट्रायल अभियुक्त को बरी करना कानून का गलत अनुप्रयोग है।

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अदालत ने कोटखाई निवासी शिकायतकर्ता और राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिकाएं स्वीकारते हुए मामला पुनः ट्रायल कोर्ट को भेज दिया। कोर्ट ने माना कि मृतक द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट से स्पष्ट होता है कि उस पर पत्नी और ससुराल वालों की ओर से लगातार मानसिक दबाव था, जिससे वह आत्महत्या को मजबूर हुआ। हालांकि हाईकोर्ट ने माना कि गुजारा भत्ता मांगना उकसावे की श्रेणी में नहीं आता, लेकिन इस मामले में पत्नी व उसके परिजनों ने गिरफ्तार करने की धमकी, पैसे की मांग और बेटे को मोहरा बनाकर मृतक को प्रताड़ित किया। इससे आत्महत्या के हालात बने।

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