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बार कौंसिल का निर्णय सही

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के उस निर्णय को सही ठहराया है जिसके तहत बार काउंसिल ऑफ हिमाचल प्रदेश ने एलएलबी डिग्री धारक याचिकाकर्ता को वकील के रूप में नामांकित करने से इनकार करने को सही ठहराया...
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के उस निर्णय को सही ठहराया है जिसके तहत बार काउंसिल ऑफ हिमाचल प्रदेश ने एलएलबी डिग्री धारक याचिकाकर्ता को वकील के रूप में नामांकित करने से इनकार करने को सही ठहराया था। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने अपीलकर्ता इंदरपाल सिंह की अपील को खारिज करते हुए कहा कि एकल पीठ का निर्णय कानून के अनुसार सही है। प्रार्थी ने जून 2014 में माता बाला सुंदरी कॉलेज ऑफ लीगल स्टडीज नाहन में तीन साल की एलएलबी डिग्री कोर्स के लिए प्रवेश लिया था। उसने नवंबर 2014 में प्रथम सेमेस्टर की नियमित परीक्षा दी जिसका परिणाम 9 अप्रैल 2015 को घोषित किया गया।

एलएलबी कोर्स के लिए दाखिला लेते समय प्रार्थी के पास स्नातक की डिग्री नहीं थी। उसने बीए तृतीय वर्ष की परीक्षा मार्च 2015 में दी जिसके बाद उसे परीक्षा परिणाम पत्र 27 जुलाई 2015 को जारी किया गया। प्रार्थी ने अपने एलएलबी कोर्स की पढ़ाई जारी रखी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा 16 नवम्बर 2017 को उसे एलएलबी कोर्स पास करने के लिए प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी किया। इस सर्टिफिकेट को आधार बनाते हुए प्रार्थी ने बार काउंसिल ऑफ हिमाचल प्रदेश के समक्ष उसे वकील के तौर पर नामांकित करने के लिए आवेदन किया। बार काउंसिल ने 17 मार्च 2023 को प्रार्थी का आवेदन रद्द कर दिया। इसके बाद प्रार्थी ने बार काउंसिल के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए वैकल्पिक तौर 5 करोड़ के मुआवजे की गुहार भी लगाई थी। बार काउंसिल का कहना था कि प्रार्थी ने जब तीन वर्षीय एलएलबी कोर्स के लिए दाखिला लिया उस समय प्रार्थी के पास स्नातक की डिग्री नहीं थी।

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