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सीखने की जिज्ञासा खत्म नहीं होनी चाहिए : गुरु रामचरण

बीबीएन (निस) बेला मंदिर थाथें वाल में गुरु पूर्णिमा पर भक्तिभाव से ओतप्रोत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गुरु रामचरण दास ने श्रीराम चरित मानस का पाठ किया। उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व समझाते हुए कहा कि...
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बीबीएन (निस)

बेला मंदिर थाथें वाल में गुरु पूर्णिमा पर भक्तिभाव से ओतप्रोत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गुरु रामचरण दास ने श्रीराम चरित मानस का पाठ किया। उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व समझाते हुए कहा कि गुरु ही वह प्रकाश हैं जो अज्ञान के अंधकार को दूर कर जीवन को नई दिशा प्रदान करते हैं । योग का मार्ग भी गुरु की कृपा से ही सार्थक होता है । उन्होंने कहा कि पहला गुरू हमारे माता पिता होते हैं तथा जीवन में जिससे भी जो ज्ञान हमें प्राप्त हुआ है हमें सदैव उनका सम्मान करना चाहिए । सीखने की जिज्ञासा हमारे अंदर कभी भी खत्म नहीं होनी चाहिए । करीब दो हज़ार भक्तों ने बड़ी श्रद्धा से पाठ में भाग लिया। कार्यक्रम के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। बेला मंदिर के भगत वाई एस गुलेरिया ने बताया कि यह मंदिर 150 साल पुराना है और लोगों की मंदिर में बहुत आस्था है । इस अवसर पर कर्नल अशोक, हरविंदर राणा, अमरजीत सिंह. कालूझिंडा पंचायत प्रधान कल्पना रनोट, गुरमेल सिंह सैनी, डॉ. स्वर्ण सिंह, अनिल कपूर व अन्य श्रद्धालु उपस्थित थे।

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