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प्रौद्योगिकी दोधारी तलवार, लेकिन इसे अपनाना जरूरी : रॉबिन

द ट्रिब्यून प्रिंसिपल मीट ‘टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन इन स्कूल: अपाॅर्चुनिटी एंड चैलेंजेज’
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शिमला में शनिवार को ‘स्कूलों में प्रौद्योगिकी एकीकरण: अवसर और चुनौतियां’ विषय पर आयोजित द ट्रिब्यून प्रिंसिपल मीट का शुभारंभ करतीं जॉन ऑकलैंड हाउस स्कूल, शिमला की निदेशक सुनीता कैरोल व अन्य ।-ट्रिन्यू
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ज्ञान ठाकुर/ हप्र

शिमला, 5 अक्तूबर

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स्कूलों में प्रौद्योगिकी का एकीकरण करना जरूरी है। हालांकि इसके काफी दुष्प्रभाव भी है और प्रौद्योगिकी दोधारी तलवार है। इसके बावजूद प्रौद्योगिकी एकीकरण आज समय की मांग है। यह कहना है पर्सनल ट्रांसफॉर्मेशन, लीडरशिप ट्रांसफॉर्मेशन व कंसलटेंट रॉबिन सावन का। रॉबिन सावन आज शिमला में द ट्रिब्यून द्वारा ‘टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन इन स्कूल: ऑपर्चुनिटी एंड चैलेंजेज’ विषय पर आयोजित प्रिंसिपल मीट में बतौर मुख्य वक्ता बोल बोल थे। उनका यह भी कहना है कि प्रौद्योगिकी दोधारी तलवार है लेकिन इसके बावजूद इसे अपनाना जरूरी है।

इस प्रिंसिपल मीट में शिमला शहर और जिले के हिस्सों से आये 50 से अधिक प्रिंसिपलों ने भाग लिया और ‘स्कूलों में प्रौद्योगिकी एकीकरण: अवसर और चुनौतियां’ विषय पर अपने विचार साझा किए। द ट्रिब्यून ने चितकारा विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रिंसिपल मीट की मेजबानी की।

प्रिंसिपल मीट में भाग लेने वाले सभी लोग इस बात पर सहमत थे कि बेहतर सीखने के अनुभव के लिए स्कूलों में प्रौद्योगिकी का एकीकरण अपरिहार्य था। हालांकि उनकी है भी राय थी कि प्रौद्योगिकी दोधारी तलवार के रूप में उभरी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित नवीनतम तकनीक ने वास्तव में शिक्षकों और छात्रों के लिए एक पूरी नयी दुनिया खोल दी है, लेकिन इसमें कई कमियां भी हैं। मुख्य वक्ता रॉबिन सावन सहित प्रतिभागियों ने माना कि बच्चों में प्रौद्योगिकी पर अत्यधिक निर्भरता के कारण उनमें आत्मविश्वास की कमी हो रही है और उनमें समाज से अलग थलग हो जाने, अपने स्तर पर कोई बड़ा फैसला न ले पाने, चिड़चिड़ापन, खराब स्वास्थ्य और अन्य मानसिक समस्याएं जैसे दुष्प्रभाव बड़े पैमाने पर सामने आए हैं। अधिकांश शिक्षकों का मानना था कि प्रौद्योगिकी के अत्यधिक प्रयोग के कारण विद्यार्थियों के आत्मविश्वास का स्तर लगातार नीचे की ओर जा रहा है।

हालांकि इन सभी दुष्प्रभावों के बावजूद मुख्य वक्ता और प्रिंसिपल मीट में पहुंचे प्रधानाचार्य ने माना कि शिक्षकों को छात्रों से एक कदम आगे रहने के लिए नई तकनीकों के बारे में खुद को लगातार अपडेट करने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए शिक्षकों को लगातार प्रशिक्षण दिए जाने पर जोर दिया ताकि वह प्रौद्योगिकी में हर रोज हो रहे बदलावों से परिचित हो सकें। उन्होंने प्रौद्योगिकी को अपनाने में ऑन गोइंग स्पोर्ट के समय पर न मिलने को मुख्य बाधा बताया और कहा कि इसके लिए स्कूलों में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है।

रॉबिन सावन ने कहा कि अभी हमारे देश में खासकर प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए आधारभूत ढांचे की कमी है। इस कारण हर व्यक्ति अथवा विद्यार्थी की कंप्यूटर या मोबाइल तक पहुंच नहीं हो पाई है। इस सीमित पहुंच के कारण हम स्कूलों में टेक्नोलॉजी को अपनाने में पीछे हैं और इसका एकीकरण पूरी तरह से नहीं कर पाए हैं। सावन ने कहा कि प्रौद्योगिकी के लाभ इसकी कमियों से अधिक हैं क्योंकि यह सीखने में बाधा डालने वाली, समय और दूरी की बाधाओं को तोड़ती है और छात्रों को शीर्ष शिक्षकों तक पहुंच प्रदान करती है। इसके अलावा, यह छात्रों को असीमित ज्ञान और जानकारी तक पहुंच प्रदान करती है। स्कूलों में प्रौद्योगिकी के सुचारू एकीकरण के लिए सावन ने कहा कि अपर्याप्त बुनियादी ढांचा समर्थन और अपर्याप्त रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों जैसी कमियों को दूर करने की आवश्यकता है। अगर भारत को अगले स्तर पर जाना है, तो हमारे पास स्कूलों में तकनीक को एकीकृत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हमें अपने शिक्षकों और छात्रों को तकनीक के इस्तेमाल के बारे में प्रशिक्षित करना शुरू करना होगा। बेशक तकनीक के इस्तेमाल के कुछ नुकसान भी हैं, लेकिन हमें सकारात्मक पहलुओं को देखना होगा और उस दिशा में काम करना शुरू करना होगा।

रॉबिन सावन ने कहा कि शिक्षकों को सिर्फ पढ़ाने का ही काम नहीं करना है बल्कि उन्हें सीखने पर ज्यादा जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह कोविड ने हमें प्रौद्योगिकी को स्वीकारना और नोटबंदी ने डिजिटल मनी को अपनाना सिखाया है। उसी तरह हमें प्रौद्योगिकी को अपना काम बेहतरीन ढंग से करने के लिए एक टूल के रूप में प्रयोग करना सीखना होगा।

आयोजन पर बोले प्रतिभागी स्कूल

सत्र बहुत ही फलदायी : गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पोर्टमोर की प्रिंसिपल राखी पंडित ने कहा कि तकनीक के कारण दुनिया के सामने आने वाले विभिन्न अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा की गई। तकनीक आधुनिक समाज का हिस्सा है और हमें यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए कि हमारे छात्र बुनियादी तकनीक में अच्छे हों।

तकनीक हमारे सिस्टम में प्रवेश कर चुकी है : ऑकलैंड हाउस स्कूल, शिमला की निदेशक सुनीता कैरोल का कहना था कि तकनीक शिक्षण प्रणाली का हिस्सा बन गई है, इसलिए हर किसी के लिए यह सीखना जरूरी है कि इसका लाभ कैसे उठाया जाए। तकनीक का इस्तेमाल बच्चों के लाभ के लिए किया जाना चाहिए, न कि ध्यान भटकाने के लिए।

तकनीक आज की प्रणाली का हिस्सा : एसडी सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल कसौली की सीनियर टेविसन का कहना था कि तकनीक आज की प्रणाली का हिस्सा है और समय की मांग है। हम तकनीक को खुद से दूर नहीं रख सकते।

प्रौद्योगिकी को अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं

सेंट एडवर्ड्स के प्रिंसिपल फादर अनिल ने कहा कि युवा दिमाग पर इसके प्रतिकूल प्रभावों के बावजूद प्रौद्योगिकी को अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर भारत को अगले स्तर पर जाना है, तो हमारे पास स्कूलों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हमें अपने शिक्षकों और छात्रों को प्रौद्योगिकी के उपयोग में प्रशिक्षित करना शुरू करना होगा। ऑकलैंड हाउस स्कूल फॉर बॉयज, शिमला के प्रिंसिपल रुबेन जॉन का कहना था कि इस सत्र से सबसे बड़ी सीख यह थी कि तकनीक के साथ आने वाली समस्याओं की पहचान कैसे करें और उनका समाधान कैसे करें। साथ ही, हम शिक्षण पद्धति और तकनीक को कैसे एकीकृत करते हैं। इस सत्र के माध्यम से हमने तकनीक से आने वाली समस्याओं की पहचान करने और आगे बढ़ने के तरीके की दिशा में पहला कदम उठाया है।

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