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सुप्रीम कोर्ट का स्टे आर्डर, मेयर बनी रहेंगी ऊषा शर्मा

अब नहीं होगा मेयर पद का चुनाव, निष्कासित दोनों महिला पार्षद को मिली राहत

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यशपाल कपूर/निस

सोलन, 21 अगस्त

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सोलन नगर निगम की दो महिला पार्षदों ऊषा शर्मा व पूनम ग्रोवर की बहाली के मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्थगनादेश आ गया है। इस आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि कोर्ट का आदेश आने तक ऊषा शर्मा को सोलन नगर निगम मेयर पद पर बहाल किया जाए। इसके अलावा कल 22 अगस्त को होने वाले मेयर चुनावों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेशों तक रोक लगा दी है। डीसी सोलन मनमोहन शर्मा ने भी इसकी पुष्टि की है।

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बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश मीडिया तक पहुंचा। अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद स्थिति एकदम साफ हो गई है। कोर्ट ने प्रतिवादियों को 14 अक्तूबर तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। निष्कासित पार्षद वार्ड-12 व मेयर ऊषा शर्मा व पूर्व मेयर व पार्षद वार्ड-8 पूनम ग्रोवर की ओर से दायर की गई, इस विशेष अनुमति याचिका में हिमाचल प्रदेश सरकार, शहरी विकास विभाग के निदेशक, सोलन के जिला उपायुक्त, नगर निगम के कमिश्नर, एडीसी अजय यादव, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष शिव कुमार, मेयर के दावेदार व पार्षद सरदार सिंह ठाकुर व कांग्रेस पार्षद पूजा तंवर को पार्टी बनाया गया है। अब इन सभी को 14 अक्तूबर तक अपने जवाब दाखिल करने होंगे। अगली सुनवाई 18 अक्तूबर को होनी है।

सत्य की जीत हुई : ऊषा शर्मा

इस स्थगनादेश के मिलने के बाद ऊषा शर्मा ने कहा कि सत्य की जीत हुई है। उन्हें न्यायपालिका पर विश्वास था। उन्होंने कहा कि वह सोलन की अधिष्ठात्री देवी मां शूलिनी के मंदिर जाएगी और उसके बाद अपना दायित्व संभाल लेंगी। शर्मा वीरवार को नगर निगम में मेयर पद संभाल सकती है। अतिरिक्त उपायुक्त एवं प्राधिकृत अधिकारी अजय कुमार यादव ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप 22 अगस्त को नगर निगम सोलन के महापौर के निर्वाचन एवं शपथ की तिथि को आगामी आदेशों तक तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया है।

सोलन मेयर चुनाव पर भाजपा ने उठाये सवाल

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने सोलन नगर निगम चुनाव में महापौर के चुनाव को लेकर कांग्रेस पर सवालों की बौछार करते हुए कहा सरकार ने यह चुनाव आनन-फानन में घोषित किया। इसके कारण इस चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से उलझती जा रही है। बिंदल ने सरकार से कुछ प्रश्न पूछे क्या कांग्रेस पार्टी एवं सरकार के पास कानून विवेक नहीं है। जब सुप्रीम कोर्ट में मामला था तो सरकार को चुनाव करवाने की क्या आवश्यकता आ गई। इसके पीछे सरकार की मंशा केवल चुनावी प्रक्रिया को उलझाने की थी। क्या महापौर चुनाव में वोट दिखाना चुने हुए व्यक्ति के अधिकारों का हनन नहीं है। सरकार को अपनी फजीहत करने की क्या जरूरत थी। बिंदल ने कहा कि इस प्रक्रिया से केवल मात्र सरकार एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाना चाहती है। तभी महापौर के चुनावों को लेकर इस प्रकार का चक्रव्यूह रचा गया।

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