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सुक्खू ने की 16वें वित्तायोग के अध्यक्ष से भेंट, आरडीजी जारी रखने का आग्रह

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगड़िया से भेंट कर हिमाचल की वित्तीय स्थिति से संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि हिमाचल पिछले तीन वर्षों...
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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगड़िया से भेंट कर हिमाचल की वित्तीय स्थिति से संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि हिमाचल पिछले तीन वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, जिसमें अनगिनत बहुमूल्य जानें गईं हैं तथा प्रदेश को 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। पर्यावरण और बुनियादी ढांचे को हुआ नुकसान अत्यधिक गंभीर है। सुक्खू ने कहा कि एक पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल की राजस्व वृद्धि की अपनी सीमाएं हैं। इसके बावजूद सरकार को संवैधानिक दायित्वों के तहत आवश्यक जन सेवाएं देनी पड़ती हैं। प्रदेश का 67 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र वन भूमि होने के कारण राज्य के पास सीमित विकल्प बचे हैं।

मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि हिमाचल जैसे राजस्व घाटे वाले पहाड़ी राज्यों के लिए राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) जारी रहनी चाहिए। राज्य सरकार ने अनुदान की निरंतरता और मात्रा मुख्य ज्ञापन और अतिरिक्त ज्ञापन के माध्यम से वित्त आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है। उन्होंने आरडीजी को कम नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इसे राज्य की आय-व्यय की यथार्थपरक स्थिति के आधार पर तय किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने आरडीजी की न्यूनतम राशि 10,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष निर्धारित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य ने वित्त आयोग से जंगल और पर्यावरण से जुड़े मानकों को अधिक महत्त्व देने का आग्रह किया है। उन्होंने पहाड़ी राज्यों के लिए अलग डिज़ास्टर रिस्क इंडेक्स का अनुरोध भी किया।

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50,000 करोड़ का ‘ग्रीन फंड’ सृजित करने को कहा

सुक्खू ने पहाड़ी राज्यों द्वारा देश को दी जा रही पारिस्थितिकीय सेवाओं के एवज में हिमाचल प्रदेश ने वार्षिक 50,000 करोड़ रुपये का एक अलग ‘ग्रीन फंड’ सृजित करने का आग्रह किया है। यह फंड किसी योजना के रूप में या फिर विशेष केंद्रीय सहायता के अंतर्गत पूंजी निवेश के लिए निर्धारित किया जा सकता है। इस विषय पर वह पहले ही प्रधानमंत्री से चर्चा कर चुके हैं और उन्हें पत्र भी लिख चुके हैं। उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग द्वारा तैयार की गई आपदा जोखिम सूचकांक (डीआरआई) को नए सिरे से तैयार करने की आवश्यकता है, क्योंकि आपदा की दृष्टि से हिमालयी क्षेत्र की शेष भारत से तुलना नहीं की जा सकती। मुख्यमंत्री ने कहा कि 16वां वित्तायोग अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।

इसलिए हिमाचल द्वारा उठाई गई मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए।

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