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पावर प्रोजेक्टों की कमाई पर सुक्खू सरकार की नजर

प्रोजेक्टों से भू राजस्व की वसूली के लिए तैयार की योजना, अधिसूचना जारी
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पाई-पाई के लिए मोहताज हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की नजर अब राज्य में स्थापित पावर प्रोजेक्टों की कमाई पर पड़ गई है। ऐसे में सरकार ने इन पावर प्रोजेक्टों से भू राजस्व के रूप में कमाई की नयी योजना बनाई है, जिससे प्रदेश के खाली खजाने में इन पावर प्रोजेक्टों से कुछ हरियाली आ सके। इसके लिए सरकार ने बाकायदा अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना के मुताबिक, प्रदेश में स्थापित पावर प्रोजेक्टों को सरकार को भू राजस्व के एवज परियोजना की बाजार कीमत का दो फीसद हर साल राजस्व के तौर पर देना होगा।

सरकार ने पावर प्रोजेक्टों से भू राजस्व वसूलने बारे अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना के मुताबिक इससे प्रभावित होने वाले पक्ष 15 दिनों के भीतर भू व्यवस्था अधिकारी एवं भू राजस्व अधिकारी निर्धारण एवं प्रभार शिमला के पास आपत्तियां दायर कर सकते हैं। ऐसे में पावर कंपनियों को इस बारे 15 दिनों का वक्त आपत्तियां दायर करने को है। आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद सरकार पावर कंपनियों से राजस्व वसूली को लेकर आगे बढ़ेगी।

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अधिसूचना के मुताबिक, किन्नौर जिला में कड़छम वांगतू से 155 करोड़ से अधिक, रौरा से 1.78 करोड़, शोरगं से 14.84 करोड़, नाथपा झाखड़ी से 222.6 करोड़ के अलावा रक्छम, पानवी, केंगर प्रोजेक्टों से भी भू राजस्व वसूला जाना है। किन्नौर जिला में इसके अलावा कुछ अन्य पावर प्रोजेक्टों से भी सालाना भू राजस्व वसूला जाएगा।

लाहौल स्पीति जिला के रॉन्ग टॉग व लिंगटी प्रोजेक्टों से भी भू राजस्व की वसूली होगी। सिरमौर जिला के रेणुका में मंगलम एनर्जी, हिमालयन क्रेस्ट पावर मनाल, चांदनी व शिलाई के अलावा गिरी पावर प्रोजेक्ट से 8.904 करोड़ की रकम भू राजस्व के तौर पर ली जाएगी।

बिलासपुर जिले में बीबीएमबी से 227.45 करोड़ तथा एनटीपीसी से 118.72 करोड़ का भू राजस्व खजाने में आने की उम्मीद है। शिमला जिला में सावड़ा कुड्डू से 16.49, रामपुर से 222 करोड़ से अधिक के अलावा करीब एक दर्जन अन्य निजी मिनी व माइक्रो पावर प्रोजेक्टों से भी खजाने में भू राजस्व के एवज में बड़ी रकम आने की उम्मीद है।

बहरहाल वाटर सेस के बाद एक बार फिर से पावर प्रोजेक्टों से भू राजस्व वसूली कर सरकार आमदन बढ़ाने की फिराक में है। मगर इस मामले में पावर कंपनियों का रुख क्या होगा यह समय के अंतराल में छिपा है। सरकार की इस कोशिश पर इसलिए भी फुलस्टॉप लग सकता है क्योंकि वाटर सेस की तरह यह मामला भी अदालत की दहलीज पर जाना तय है क्योंकि जिन पावर प्रोजेक्ट से सरकार भू राजस्व वसूलने की फिराक में है वह प्रोजेक्ट राज्य में पहले से स्थापित हैं और उनके साथ हस्ताक्षरित एमओयू में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।

 

एक हजार करोड़ से अधिक की कमाई की उम्मीद

पावर प्रोजेक्टों से सालाना भू राजस्व लेने की योजना के धरातल पर उतरने की स्थिति में किन्नौर जिला से खजाने में 454.55 करोड़, शिमला में स्थापित पावर प्रोजेक्टों से 314.26 करोड़, बिलासपुर से 346.177 करोड़ तथा सिरमौर से 10.68 करोड़ की सालाना रकम आने का अनुमान है। एक हजार करोड़ से अधिक की इस रकम के हिमाचल के खाली खजाने को राहत मिल सकती है।

 

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