बीते दिनों की बात हो जाएगी शिमला में बर्फबारी !
सुभाष राजटा/ट्रिन्यू
शिमला, 12 फरवरी
वर्ष 1990-91 की सर्दियों में शिमला में 239 सेटीमीटर बर्फबारी हुई थी जबकि चालू दशक की पांच सर्दियों में, शहर में लगभग 250 सेंटीमीटर बर्फबारी ही हुई है, जो शिमला और उसके आसपास बर्फबारी में कमी आने के ट्रेंड का संकेत देती है। अधिक चिंता की बात यह है कि शहर में पिछले तीन शीतकालों में, जिसमें वर्तमान शीतकाल भी शामिल है, कोई बड़ी बर्फबारी नहीं हुई। 2022-23 की सर्दियों से लेकर वर्तमान सर्दियों तक, शहर में मुश्किल से लगभग 25 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई है। यह बेहद चिंताजनक है क्योंकि शहर ने पिछले 35 वर्षों में कभी भी लगातार तीन सूखी सर्दियां नहीं देखीं। यह कोई नहीं जानता कि यह महज मौसम चक्र में गड़बड़ी है या शिमला में बर्फबारी के अंत की शुरुआत है। शिमला और आसपास के इलाकों में कम हो रही बर्फबारी से मौसम अधिकारी भी चिंतित हैं। शिमला मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक, कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ दशकों में शिमला में बर्फबारी कम हो रही है। मोटे तौर पर, इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग, सड़क पर वाहनों की बढ़ती संख्या और तेजी से शहरीकरण हो सकता है। पिछली सदी के आखिरी दशक में, 1991 से 2000 तक, शहर में कुल 1,332 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई थी, यानी प्रति वर्ष औसतन 133 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई थी। पिछले दशक में, 2011-2020 तक, शहर में 809 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई, यानी प्रति वर्ष औसतन 80 सेंटीमीटर। मौजूदा दशक की पहली पांच सर्दियों में, प्रति वर्ष औसत बर्फबारी घटकर लगभग 50 सेंटीमीटर रह गई है। बर्फबारी में गिरावट के अलावा, पिछले कुछ वर्षों में बर्फबारी की अवधि भी कम हो गई है। 1991-2000 में नवंबर और मार्च महीने में भी बर्फबारी दर्ज की गई थी. जबकि नवंबर में कई वर्षों से बर्फबारी नहीं देखी गई है, आखिरी बार बर्फबारी 2019-20 में मार्च में दर्ज की गई थी। अब दिसंबर में भी बर्फबारी असामान्य होती जा रही है। मौसम अधिकारियों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ वाहनों की बढ़ती संख्या और शहरीकरण जैसे स्थानीय कारक भी वातावरण को गर्म कर रहे हैं। जहां शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो गया है, वहीं राज्य में हर साल एक लाख से ज्यादा नए वाहन सड़क पर उतरते हैं। राज्य में पहले से ही 22 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हैं।