स्वच्छता रैंकिंग में और पिछड़ी पहाड़ों की रानी शिमला
पहाड़ों की रानी शिमला स्वच्छता रैंकिंग में और पिछड़ गई है। आलम ये है कि प्रदेश की राजधानी होने के नाते हिमाचल के सबसे स्वच्छ शहरों में भी शिमला तीसरे पायदान पर पहुंच गया है। पहाड़ों की रानी और अंतर्राष्ट्रीय सैरगाह जैसे कई अलंकारों से सुसज्जित होने के बावजूद शिमला स्वच्छता के मामले में देश के 300 शहरों की सूची में भी शामिल नहीं है। स्मार्ट सिटी में स्वच्छता के बदहाल होने से शहर वासियों के साथ साथ यहां आने वाले सैलानी भी परेशान हैं। इसे अफसरशाही की नजरअंदाजी कहें अथवा लापरवाही मगर, हकीकत यह है कि शहर की सड़कों को साफ करने के लिए करोड़ों की रकम खर्च कर खरीदी गई झाड़ू मार मशीन शिमला के रिज मैदान पर लाइब्रेरी के समीप सड़क की शोभा बढ़ा रही है। इससे पहले बीते रोज ही देश के शहरों की स्वच्छता रैंकिंग की सूची जारी की गई थी। स्वच्छता सर्वेक्षण देश के 824 शहरों में किया गया। 2024-25 की स्वच्छता रैंकिंग में शिमला इन 824 शहरों में 347वें स्थान पर रहा। यह शिमला की अब तक की सबसे नीचे की स्वच्छता रैकिंग है। विडंबना यह है कि शिमला का पारंपरिक गौरव लौटाने की बातें तो राजनेता सालों नहीं दशकों से कर रहे हैं।
गौरतलब है कि आजादी के पहले शिमला की सड़कों को धोया जाता था। दस्तावेजों में यह दर्ज है। देश की सबसे पुराने निकायों में शुमार शिमला का दायरा साल दर साल तो नहीं मगर हरेक नगर निगम चुनाव से पहले बढ़ता रहा। कभी जेएनएनयूआरएम के तहत केंद्र से मिलने वाले अनुदान तो कभी स्मार्ट सिटी के तहत मिलने वाली केंद्रीय मदद के लिए भी दायरा बढ़ाया जाता रहा। मगर शहर का क्षेत्रफल बढ़ने के बावजूद इसमें पर्याप्त संख्या में सफाई कर्मचारिकयों, कचरा प्रबंधन व अन्य व्यवस्थाओं को करना प्रशासन भूल गया अथवा संसाधनों की कमी इसमें बाधा बनी। नतीजतन आज जारी किए गए केंद्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण के नतीजे में शहर की रिहायशी कॉलोनियों और बाजारों में सफाई व्यवस्था का स्तर तो सुधरा है लेकिन घरों से कूड़ा उठाने, गीला सूखा कचरा अलग रखने, कचरे का निपटान करने, पेयजल स्रोतों की सफाई आदि की श्रेणी में शहर पीछे रह गया। कुल 7500 अंकों में से शिमला शहर को 4798 अंक मिले हैं।
स्वच्छता सर्वेक्षण गलत: महापौर
स्वच्छता रैकिंग को लेकर शिमला के महापौर ने सर्वे को गलत करार देते हुए कहा कि इसे चुनौती दी जाएगी। उनका कहना है कि शिमला में सफाई व्यवस्था लगातार सुधरी है और एक जमाने में शहर में नजर आने वाले कूड़े के ढेर अब बीते जमाने की बात हो चुकी है। ऐसे में शहर की स्वच्छता रैंकिंग में कमी दर्शाना सरासर नाइंसाफी है।