कसौली में चल रहे 14वें खुशवंत सिंह लिटरेचर फेस्टिवल का अंतिम दिन विचारों, संस्कृति और संवेदनाओं का संगम बना। छह सत्रों में जहां हिमाचल की पौराणिक विरासत पर संवाद हुआ, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नीतियों और पत्रकारिता के स्वर्ण युग पर भी विमर्श छाया रहा।
पहले सत्र में लेखक राजा भसीन की पुस्तक ‘एकोज ऑफ हैरिटेज, माइथ्स एंड कल्चर ऑफ हिमाचल’ पर गहन चर्चा हुई। ग्लेन राइट और भसीन ने हिमाचल की देवी-देवता परंपराओं, लोकविश्वासों और स्थापत्य धरोहरों को राज्य की आत्मा बताया। भसीन ने कहा कि ‘लोकसंस्कृति किसी समाज की जड़ होती है, इसे जीवित रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है।’
इसके बाद वरिष्ठ राजनेता मणिशंकर अय्यर और जवाहर सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नीतियों पर रोशनी डाली। अय्यर ने कहा, ‘राजीव गांधी ने भारत को सूचना क्रांति, पंचायतीराज और तकनीकी आधुनिकता की राह पर डाला।’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज पंचायतीराज में 14 लाख महिलाएं सक्रिय हैं, यह राजीव गांधी की लोकतांत्रिक सोच की परिणति है। जवाहर सरकार ने कहा कि भारत का आधुनिक चेहरा, जिसकी झलक आज डिजिटल इंडिया में दिखती है, उसकी नींव राजीव गांधी ने रखी थी।
एक अन्य सत्र में चंद्रमोहन, उनकी पुत्री ज्योत्सना मोहन और द ट्रिब्यून की प्रधान संपादक ज्योति मल्होत्रा ने ‘फ्रीडम, डिफेंस एंड फर्स्ट ड्राफ्ट ऑफ हिस्ट्री’ विषय पर पत्रकारिता के ऐतिहासिक योगदान पर चर्चा की। चंद्रमोहन ने बताया कि उनके स्वतंत्रता सेनानी पिता लाहौर जेल में भगत सिंह के साथ बंद थे, और उस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी रहे जब उन्हें फांसी दी गई। फिल्म अभिनेत्री पूजा बेदी, नंदिनी मुरली, लीना गुप्ता, संदीप भामर, प्रेम झा और मधुर सिंह ने समकालीन समाज, आत्मबोध और कला की भूमिका पर संवाद किया।
फेस्ट के समापन पर राहुल सिंह, खुशवंत सिंह के पुत्र और फेस्ट डायरेक्टर ने सभी अतिथियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह सिर्फ लिट फेस्ट नहीं, बल्कि संवादों का एक जीवित संग्रहालय है।’