बड़े भाई की भूमिका निभाएं पंजाब व हरियाणाः मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने कहा कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद हिमाचल में सहकारी समितियों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रदेश में सहकारी आंदोलन वर्ष 1904 में शुरू हुआ था और वर्ष 1971 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद इस आंदोलन ने रफ्तार पकड़ी। वर्तमान में, राज्य में 5,000 से अधिक सक्रिय सहकारी समितियां हैं, जिनमें लगभग 2,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियां शामिल हैं।
उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार सहकारी समितियों को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए जमीन खरीदने के लिए धारा 118 के तहत छूट प्रदान करने पर विचार करेगी। सुक्खू ने कहा कि प्रदेश की पिछली सरकार के दौरान हुई अनियमितताओं के कारण वर्तमान राज्य सरकार ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के बोर्ड को भंग किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में सरकार के किए गए सुधारात्मक प्रयासों के फलस्वरूप हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 2025 में देश की शिक्षा रैंकिंग में पांचवां स्थान हासिल किया है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रदेश को हो रहे नुकसान पर उन्होंने कहा कि लगभग 20,000 करोड़ रुपये के नुकसान के बावजूद, राज्य में विकास कार्य निर्बाध जारी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ‘हिम-ईरा ब्रांड’ के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
\B‘सहकार टैक्सी सेवा’ से हिमाचल के लोग होंगे लाभान्वित \B
केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने हिमाचल प्रदेश को शत-प्रतिशत साक्षरता दर हासिल करने पर बधाई देते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए केंद्र की पहल पर बल दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ‘सहकार टैक्सी सेवा’ शुरू की है, जिससे हिमाचल के लोग लाभान्वित हो सकते हैं, क्योंकि राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड में 10 लाख से ज्यादा किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से कृषि ऋण मिला है। राज्य का लक्ष्य 15 लाख लोगों को इस आंदोलन से जोड़ना है, जिससे महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित होगा।