शिमला, 17 अप्रैल (निस)
हिमाचल प्रदेश जल्द ही देश का पहला ग्रीन स्टेट बनेगा। हिमाचल प्रदेश ने राज्य में गैस और ताप ऊर्जा को अलविदा कहना शुरू कर दिया है और अब पूरा ध्यान पनविद्युत तथा सौर ऊर्जा पर केंद्रित किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक हिमाचल की जयराम ठाकुर सरकार ने एक ताप ऊर्जा और तीन गैस संयंत्रों के साथ बिजली आपूर्ति को लेकर हुए समझौतों का नवीनीकरण नहीं किया है। यही नहीं प्रदेश सरकार लगभग आधा दर्जन ताप ऊर्जा संयंत्रों के साथ बिजली की खरीद को लेकर हुए समझौतों को भी समय से पहले खत्म करने जा रही है।
अब प्रदेश सरकार द्वारा सौर ऊर्जा और पनविद्युत परियोजना के उत्पादन व दोहन पर फोकस करने का निर्णय लिया गया है। हिमाचल में हर साल 12000 मिलियन यूनिट बिजली खपत हो रही है। इसमें से 2000 मिलियन यूनिट बिजली थर्मल और गैस पॉवर प्लांटों से आ रही है। इसी बिजली पर निर्भरता अब प्रदेश सरकार खत्म करने जा रही है। प्रदेश सरकार ने ये फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की घोषणा के अंतर्गत लिया है।
इसी के अनुसरण में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश को वर्ष 2030 तक ग्रीन स्टेट बनाने की घोषणा भी कर दी है और इसके लिए प्रदेश मंत्रिमण्डल ने पिछले साल ही राज्य की सौर ऊर्जा नीति को भी मंजूरी दी है।
प्रदेश के मुख्य सचिव रामसुभग सिंह के अनुसार हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने के सरकार के प्रयास अगले छह महीने में जमीन पर दिखने शुरू हो जाएंगे।
64 मेगावाट पवन ऊर्जा तैयार करने में सक्षम
हिमाचल में करीब 64 मेगावाट पवन ऊर्जा तैयार करने की क्षमता है। इसके अलावा करीब 2500 मेगावाट ऊार्ज लघु व मध्यम पन बिजली प्रोजेक्टों से बनाई जा सकती है। बायो मास से 142 मेगावाट व कचरे से दो मेगावाट ऊर्जा बनाने की क्षमता के अलावा 33840 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता राज्य में है।