मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

नियमितीकरण नीति पर सुक्खू सरकार को नोटिस

कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को
Advertisement

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर फिर से दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए नियमितीकरण नीति 2025 लाने पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। राज्य सरकार ने 8 अप्रैल 2025 को अधिसूचना जारी कर 31 मार्च 2025 तक 4 वर्ष का दिहाड़ीदार कार्यकाल पूरा करने वालों को नियमित करने का फैसला लिया है।

कोर्ट ने कहा कि यह ध्यान देने योग्य है कि सर्वोच्च न्यायालय ने उमादेवी मामले में यह माना था कि नियमितीकरण नीति, एक बार का उपाय है। इसलिए कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह इस बात से अवगत कराए कि राज्य सरकार द्वारा किस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का लगातार वर्ष 2006 से और अब 6.2.2025 को सूरजमणि मामले में जारी निर्देशों के बाद भी उल्लंघन किया जा रहा है। मुख्य सचिव की ओर से इस बाबत शपथपत्र दायर करने के लिए अदालत से चार सप्ताह के समय की मांग की गई जिसे स्वीकारते हुए कोर्ट ने मामले की सुनवाई 26 अगस्त को निर्धारित करने का आदेश दिया।

Advertisement

आर के एस में तैनात अस्थाई कर्मचारियों के नियमितीकरण से जुड़ी अपील की सुनवाई के दौरान नियमितीकरण से जुड़ा तथ्य मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया व न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ के समक्ष आया और खंडपीठ ने इसे प्रथम दृष्टया सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की अवमानना पाते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए।

सर्वोच्च न्यायालय ने सुरजमनी से जुड़े मामले में स्पष्ट किया था यह निर्णय समान नियमितीकरण से जुड़े समान तथ्यों पर आधरित मामलों में लागू होगा। मगर राज्य सरकार इस निर्णय के पश्चात दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्मिकों को नियोजित करने का सहारा नहीं लेगी, बल्कि केवल कानून के अनुसार नियुक्तियां करेगी, जैसा कि सचिव, कर्नाटक राज्य बनाम उमा देवी के मामले में उल्लिखित है। सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय 6 फरवरी 2025 को आ गया था जबकि राज्य सरकार ने हर साल की तरह दैनिक वेतनभोगी कर्मियों के लिए 8 अप्रैल 2025 को नई नियमितीकरण नीति जारी कर दी।

Advertisement
Show comments