नयी दिल्ली, 11 जुलाई (एजेंसी)
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को शिमला के नारकंडा इलाके में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह जमीन वन भूमि है या गैर वन सरकारी भूमि है, इस सवाल के बावजूद पहले ही हो चुकी लंबी देरी के मद्देनजर राज्य प्राधिकारियों को आगे की कार्रवाई करनी चाहिए। पीठ ने कहा, ‘अतिक्रमण हटाने के लिए 3 अगस्त, 2019 का आदेश हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक परिसर एवं भूमि (बेदखली और किराये की वसूली) अधिनियम, 1971 के तहत पारित किया गया लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव इस मामले की निगरानी करें ताकि यह सुनिश्चित हो कि सरकारी संपत्ति की सुरक्षा बनी रहे।’ मुख्य सचिव ने एनजीटी को बताया कि यह जमीन राजस्व दस्तावेजों में ‘गैर मुमकिन सड़क’ (ऐसी कृषि भूमि जहां कुएं और जलाशय हैं) पायी गयी और यह गैर-वन भूमि है। एनजीटी का आदेश शिमला निवासी शेर सिंह की याचिका पर आया है जिसमें हिमाचल प्रदेश में सरकारी जमीन पर गैरकानूनी अतिक्रमण का आरोप लगाया गया।