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बहन के घर ठहरी माता शूलिनी

यशपाल कपूर/निस सोलन, 21 जून शोभायात्रा के बाद सोलन की अधिष्ठात्री देवी मां शूलिनी पीठ में ठहरी। यहां रविवार तक माता रुकेंगी और रविवार देर सायं अपने मंदिर में पहुंच जाएंगी। शनिवार को स्थानीय लोग गंज बाजार स्थित शूलिनी पीठ...
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यशपाल कपूर/निस

सोलन, 21 जून

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शोभायात्रा के बाद सोलन की अधिष्ठात्री देवी मां शूलिनी पीठ में ठहरी। यहां रविवार तक माता रुकेंगी और रविवार देर सायं अपने मंदिर में पहुंच जाएंगी। शनिवार को स्थानीय लोग गंज बाजार स्थित शूलिनी पीठ में आशीर्वाद लेने पहुंचे। यहां सुबह से ही भक्तों की कतारें लगनी शुरू हो गई थी। सोलन का शूलिनी मेला दो बहनों के मिलन का पर्व है। मां शूलिनी जब गंज बाजार स्थित अपनी बहन से मिलने के लिए आती है तो यहां मेले का आयोजन किया जाता है। यहां के लोगों का मानना है कि इस दौरान मां से मांगी गई मन्नत पूरी होती है, जिसके लिए यहां दूर-दूर से लोगों का हुजूम उमड़ता है।

मंदिर के पुजारी मनु शर्मा ने बताया कि गंज बाजार स्थित मंदिर में माता पिंडी रूप में विराजमान हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि शक्ति रूप माता को भगवान शिव ने शूल भेंट किया था। इसके चलते माता का नाम शूलिनी पड़ा। यहां शूलिनी माता की पीठ है जैसे हिमाचल में अन्य पीठें हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष माता शूलिनी यहां अपनी बहन से मिलने के लिए आती हैं।

समय के साथ बढ़ा मेले का स्वरूप

समय के साथ-साथ ऐतिहासिक शूलिनी मेले का स्वरूप बढ़ा है। शुरुआती दौर में बघाट रियासत के राजाओं के समय में यह मेला गंज बाजार के पास खेत में लगता था। उस समय यहां पर ठोडा व कुश्ती प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती थी। धीरे-धीरे सोलन की आबादी बढ़ती गई व मेले का स्वरूप भी बदलता गया। जगह कम पड़ने पर यह मेला ठोडो मैदान के खुले स्थान पर स्थानांतरित किया गया। पहले यह मेला बघाट रियासत के राजा द्वारा करवाया जाता था व बाद में इसकी बागडोर जिला प्रशासन के हाथ आ गई। मेले में सांस्कृतिक संध्याओं के अलावा विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताए, फ्लावर शो, बेबी शो, डॉग शो, प्रदर्शनी सहित कई प्रतियोगिताओं व विभिन्न विभागों की प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं।

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