हिमाचल में मानसून का कहर : अब तक 366 मौतें और 4,079 करोड़ का नुकसान
अब तक हुई 366 मौतों में से 203 मौतें सीधे बारिश से जुड़ी घटनाओं में हुई हैं। इनमें 42 लोग भूस्खलन, 17 लोग बादल फटने और 9 लोग अचानक आई बाढ़ की चपेट में मारे गए। वहीं, 163 लोगों की जान बारिश से बिगड़े हालात में हुई सड़क दुर्घटनाओं में गई।
प्रदेश में अब तक 135 बड़े भूस्खलन, 95 फ्लैश फ्लड और 45 बादल फटने की घटनाएं दर्ज हुई हैं। इन आपदाओं में 6,025 मकान ढह गए या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए, जबकि 455 दुकानें और छोटे उद्योग भी बर्बाद हो गए।
सड़कें बनी मौत का जाल
राज्य का सड़क नेटवर्क सबसे ज्यादा प्रभावित है। कुल 869 सड़कें अब भी बंद हैं, जिनमें तीन राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं। एनएच-03 (मंडी–धर्मपुर), एनएच-05 (पुराना हिंदुस्तान–तिब्बत) और एनएच-305 (औट–सैंज)। जिला स्तर पर कुल्लू में 227, मंडी में 191, शिमला में 154 और चंबा में 116 सड़कें अवरुद्ध हैं। सिरमौर, ऊना और कांगड़ा में भी हालात गंभीर हैं। इन बंद सड़कों ने राहत कार्यों को और कठिन बना दिया है।
बिजली और पानी की किल्लत
बारिश और भूस्खलन से बिजली व पेयजल आपूर्ति पर गहरा असर पड़ा है। प्रदेश में 1,572 ट्रांसफार्मर ठप हैं। सिर्फ कुल्लू में ही 873 और मंडी में 259 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं। शिमला, चंबा और लाहौल-स्पीति जिलों में 142-142 ट्रांसफार्मर काम नहीं कर रहे। इसी तरह, 389 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं, जिनमें शिमला की 183, मंडी की 79 और कुल्लू की 63 योजनाएं शामिल हैं। इससे लोगों को पीने के पानी के लिए भारी संकट झेलना पड़ रहा है।
नया अलर्ट, नयी चुनौती
मौसम विभाग ने कांगड़ा, मंडी, चंबा, हमीरपुर, ऊना और लाहौल-स्पीति जिलों के लिए भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। विभाग ने लोगों को सतर्क रहने और नदी-नालों से दूरी बनाने की सलाह दी है।
प्रशासन का कहना है कि लगातार हो रही बारिश से राहत और बचाव कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। भूस्खलन हर दिन नई मुसीबत खड़ी कर रहा है, जिससे मशीनरी और टीमों को प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है। सरकार ने केंद्र से सहायता मांगी है और राहत शिविर स्थापित किए हैं, लेकिन हजारों लोग अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं और आसमान से बरसते खतरे का सामना कर रहे हैं।