कुल्लू, 12 अक्तूबर (निस)
कुल्लू के अंतर्राष्टीय दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ की परंपरा नहीं टूटेगी और दशहरे के दिन रघुनाथ की भव्य रथयात्रा निकलेगी। हालांकि इस रथयात्रा में इस बार जिला भर के सैकड़ों देवी-देवता भाग नहीं ले पायेंगे और न ही हजारों श्रद्धालू रथ खींच पायेंगे लेकिन पूरे सात दिन तक भगवान रघुनाथ की परंपरा का निर्वाह होगा।
सोमवार को दशहरा पर्व की पहली बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कोरोना के नियमों का पालन करते हुए दशहरा पर्व मनाया जायेगा। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ढालपुर मैदान में किसी भी तरह का व्यापार नहीं होगा और न ही दुकानें लग पायेंगी। दशहरा पर्व में आने वाले लोग कुल्लू शहर की स्थायी दुकानों में ही खरीददारी कर सकते हैं। यही नहीं लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में भी किसी तरह का लोकनृत्य व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी नहीं होंगे। होगा तो सिर्फ दशहरा पर्व की परंपरा का निर्वाह। लिहाजा इस बार कोरोना के कारण देव महाकुंभ अंतरराष्ट्रीय दशहरा पर्व का स्वरूप बिल्कुल अलग हो गया है।
बैठक में दशहरा कमेटी के अध्यक्ष एवं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने मख्य तौर पर भाग लिया जबकि भगवान रघुनाथ जी की तरफ से मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह उपस्थित रहे। इसके अलावा उपाध्यक्ष एवं उपायुक्त डा. ऋचा वर्मा, कुल्लू के विधायक सुंदर सिंह ठाकुर, आनी के विधायक किशोरी लाल, नगर परिषद के उपाध्यक्ष गोपाल कृष्ण महंत, कारदार संघ के पदाधिकारियों सहित दशहरा कमेटी के सदस्य मौजूद रहे। कोरोना के नियमों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया गया कि आखिर किसी भी देवी-देवता को आमंत्रित नहीं किया जाएगा। सिर्फ उन सात देवी-देवताओं के निशान बुलाये जाएंगे जिन देवताओं की रथयात्रा में भूमिका जरूरी है।