ज्ञान ठाकुर/निस
शिमला, 8 अक्तूबर
नागालैंड के पूर्व राज्यपाल एवं सीबीआई के पूर्व निदेशक अश्विनी कुमार का बृहस्पतिवार को शिमला में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके बेटे अभिषेक ने चिता को मुखाग्नि दी। हिमाचल के पूर्व डीजीपी कुमार के अंतिम संस्कार में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी, कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुखविंदर सुक्खू तथा अश्विनी कुमार के रिश्तेदार समेत कई लोग शामिल हुए। सीबीआई के पूर्व निदेशक 69 वर्षीय कुमार ने बुधवार को छोटा शिमला के पास ब्रोकहर्स्ट स्थित अपने आवास में आत्महत्या कर ली थी। सीबीआई निदेशक के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान 2008 के आरुषि हत्याकांड समेत कई हाईप्रोफाइल मामलों की तहकीकात की गई थी। अश्वनी कुमार का अंतिम संस्कार करने से पहले उन्हें प्रदेश पुलिस की एक टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर पेश किया और अंतिम सलामी दी। अश्वनी कुमार नागालैंड में राज्यपाल का पद छोड़ने के बाद वह शिमला के एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे हैं। अश्वनी कुमार ने एसपीजी सहित कई अन्य संगठनों में भी सेवाएं दीं। पुलिस को घटना स्थल से एक सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें अश्वनी कुमार ने लिखा है कि वह अपनी जिंदगी से तंग आ चुके हैं और परिवार पर बीमारी की हालत में बोझ नहीं बनना चाहते इसलिए आगे की यात्रा पर निकल रहे हैं। अश्वनी कुमार की उम्र 70 साल थी और वह सिरमौर जिला के रहने वाले थे।
सामान्य दिनों की तरह था अश्वनी कुमार का व्यवहार
अश्वनी कुमार के परिजनों के मुताबिक कल अश्वनी कुमार का व्यवहार सामान्य दिनों की तरह था। पूरे परिवार ने एक साथ दोपहर का भोजन किया और फिर अश्वनी कुमार मालरोड पर सैर के लिए निकल गए तथा वह कालीबाड़ी मंदिर भी गए। इसके बाद शाम को घर लौटे। सायं 7 बजकर 10 मिनट पर जब उनके पुत्र और पुत्रवधु शाम की सैर के लिए निकलने लगे तो उन्होंने अश्वनी कुमार के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद पाया। इस पर पहले ऐटिक पर उनकी तलाश की लेकिन जब नहीं मिले तो वह दो दरवाजे तोड़कर अश्वनी कुमार के कमरे तक पहुंचे जहां उन्होंने फांसी लगा ली थी। अश्वनी कुमार कुछ रोज पूर्व ही दो महीने बाद मुम्बई से लौटे थे और मानसिक अवसाद से गुजर रहे थे। इसके बावजूद उनका व्यवहार सामान्य था।
नहीं पूरी हो सकी अंगदान की अंतिम इच्छा
अंतिम संस्कार से पहले अश्वनी कुमार की अंगदान की अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो पाई क्योंकि आत्महत्या के मामले में विभिन्न कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने और पोस्टमार्टम में देर की वजह से अंगदान करने का समय निकल गया। इसके अलावा अश्वनी कुमार के परिजन भी नहीं चाहते थे कि उनके अंगदान किए जाएं। अश्वनी कुमार ने अपनी वसीयत में मौत के बाद अंगदान की इच्छा व्यक्त की थी।
मार्च 2013 में बने थे नागालैंड के राज्यपाल
अश्वनी कुमार मार्च 2013 में नागालैंड के राज्यपाल बने थे। हालांकि उन्होंने वर्ष 2014 में ही इस पद से इस्तीफा दे दिया था। अश्वनी कुमार सीबीआई के ऐसे पहले निदेशक रहे जिन्हें बाद में केंद्र सरकार ने राज्यपाल बनाया। वह 2008 से 2010 के बीच सीबीआई निदेशक थे। अश्वनी कुमार हाल ही में मुम्बई से लौटे थे और शिमला में अपने बेटे व बहू के साथ ब्रॉकहास्ट में रह रहे थे। एसपी शिमला मोहित चावला ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि अश्वनी कुमार द्वारा आत्महत्या करना सभी के लिए दुखद है क्योंकि वह पुलिस बल के लिए एक रोलमॉडल थे।