शिमला, 30 जनवरी (निस)
हिमाचल प्रदेश में न्यू पेंशन स्कीम के तहत आने वाले एक लाख से अधिक कर्मचारी चुनावी साल में जयराम ठाकुर सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी संघ ने आज शिमला में ऐलान किया कि वह पहले राज्य के तमाम विधायकों से मुलाकात कर पुरानी पेंशन बहाली की मांग करेंगे। यदि उनकी बात को नहीं माना जाता है तो फिर सभी विधायकों और मंत्रियों के घरों का घेराव होगा। यदि फिर भी सरकार नहीं जागी तो बजट सत्र के दौरान विधानसभा का अनिश्चितकालीन घेराव होगा और जब तक सरकार पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा नहीं करती तब तक सारे कर्मचारी प्रदेश की राजधानी शिमला में डटे रहेंगे। संघ के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा कि पहली फरवरी से दस फरवरी तक वे प्रदेश के सभी विधायकों चाहे वे सत्ता पक्ष के हों विपक्ष के, सबसे अंतिम बार मुलाकात करेंगे। इसके बाद सार्थक नतीजे नहीं आए तो पूर्व विधायकों, सांसदों की पेंशन बंद करने की मुहिम छेड़ेंगे। अगर बजट सत्र के दौरान सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा नहीं की तो प्रदेश भर के कर्मचारी सारे कार्यालय बंद कर राज्य विधानसभा का घेराव करेंगे। यह घेराव अनिश्चतकालीन होगा। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि अगर सरकार पुरानी पेंशन बहाल करती है तो उससे हिमाचल को चार हजार करोड़ का लाभ होगा। पेंशन देने पर केवल दो हजार करोड़ खर्च होंगे। जबकि न्यू पेंशन का छह हजार करोड़ की बड़ी रकम निजी कंपनी के पास जमा है। इसके रखरखाव पर ही सरकार 18 करोड़ खर्च करती है। हर साल पांच सौ करोड़ रूपये सरकार कंपनी को देती है, इसकी कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमाचल को विकास कार्य के लिए कर्ज लेने की जरूरत नहीं है, कंपनी को पैसा देने की बजाय सरकार ही रख लेें।
सांसद के बयान पर उठाये सवाल
संघ के पदाधिकारियों ने शिमला के सांसद एवं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप के बयान पर भी कड़ा आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि खुद दो-दो पेंशन लेने वाले सांसद अपना बयान वापस लें, नहीं तो गंभीर नतीजे भुगतने को तैयार रहें। उन्होंने कहा कि पंजाब में पूर्व विधायक पांच लाख से अधिक पेंशन ले रहे हैं। हिमाचल में कई पूर्व विधायक प्रतिमाह चार लाख पेंशन ले रहे हैं, जबकि कर्मचारियों को सम्मानजनक पेंशन से भी वंचित रखा जा रहा है।