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एआई युग में शिक्षकों को खुद को बदलना होगा, नैतिक मूल्यों के साथ स्टूडेंट्स को लीड करना होगा

द ट्रिब्यून स्कूल प्रिंसिपल्स मीट : वक्ता बोले एआई सहायता कर सकता है, इंसानों की जगह नहीं ले सकता

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अब बहस इस बात पर नहीं रह गई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) शिक्षा जगत को बदलेगा या नहीं, बल्कि इस पर है कि शिक्षक कितनी तेजी और जिम्मेदारी से इस बदलाव को अपनाते हैं और साथ ही उन मानव मूल्यों को बचाए रखते हैं, जो सीखने को सार्थक बनाते हैं। इसी विचार को केंद्र में रखते हुए धर्मशाला में शुक्रवार को चितकारा यूनिवर्सिटी के सहयोग से आयोजित 'द ट्रिब्यून स्कूल प्रिंसिपल्स मीट' में ' एआई के युग में शिक्षा' विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया।

क्षेत्र के 50 से अधिक स्कूल प्रिंसिपलों ने कार्यक्रम में भाग लिया। यह ऐसा मंच बना जहां शिक्षाविदों और तकनीकी विशेषज्ञों ने मिलकर भविष्य की शिक्षा पर गहन चिंतन किया। सेमिनार का मकसद टेक्नोलॉजी में तरक्की और शैक्षणिक तरीकों के बीच गहराती खाई को कम करना था। वक्ताओं ने कहा कि स्कूलों को एआई को संकोच के साथ नहीं, बल्कि स्पष्ट उद्देश्य, जिम्मेदारी और दूरदृष्टि के साथ अपनाना चाहिए।

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उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि एआई सीखने की गुणवत्ता बढ़ाने के अनेक अवसर देता है, लेकिन इसके उपयोग में नैतिकता और मूल्यों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए, जिससे शिक्षण प्रक्रिया छात्र केंद्रित और मूल्य आधारित बनी रहे।

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सेमीनार में वक्ताओं ने सामूहिक रूप से जोर देकर कहा कि भारत वैश्विक एआई क्रांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में है। उन्होंने तर्क दिया कि इस क्षमता को साकार करने के लिए ऐसी समावेशी और दूरदर्शी नीतियों की आवश्यकता है, जो तकनीकी संभावनाओं और सामाजिक जरूरतों के बीच संतुलन बनाए रखें। उन्होंने कहा कि एआई युग में शिक्षकों को खुद को बदलना होगा और नैतिक मूल्यों के साथ स्टूडेंट्स को लीड करना होगा।

चितकारा यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर (आउटरीच) संजयव दोसांज ने कहा कि एआई आज कक्षा से लेकर प्रशासन तक शिक्षा तंत्र में गहराई से समाहित हो चुका है। उन्होंने कहा, 'एआई अब दूर की बात नहीं रही, यह रोज़ाना पढ़ाने और सीखने के ताने-बाने में शामिल हो चुकी है।'

हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षकों की अहम भूमिका को बनाए रखना होगा। उन्होंने आगे कहा, 'हमें इंसानी नैतिकता और मूल्यों पर काम करने की ज़रूरत है, जो सिर्फ एक शिक्षक ही दे सकता है। शिक्षक समुदाय की विशेषज्ञता और एआई के सार्थक उपयोग करने की उनकी क्षमता का संयोजन ही आज की सबसे बड़ी जरूरत है।' दोसांज ने कहा कि सेमिनार ने हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्कूलों के प्रतिभागियों के बीच विचारों के एक उपयोगी आदान-प्रदान का अवसर प्रदान किया और भविष्य की शिक्षा पर सार्थक संवाद के लिए एक मंच तैयार किया।

22 से अधिक वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत तकनीकी विशेषज्ञ और एआई रणनीतिकार कुलबीर सिंह ने उद्योग के दृष्टिकोण के बारे में बताया। उन्होंने विश्वभर के विभिन्न क्षेत्रों में एआई आधारित समाधानों को लागू करने के अपने अनुभव साझा किए और एआई संचालित सेवाओं की बढ़ती मांग पर प्रकाश डाला।

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