शिमला, 25 मई (निस)
हिमाचल प्रदेश ने कोरोना वैक्सीन टीकाकरण में न केवल देशभर में पहला स्थान हासिल किया है, बल्कि यहां कोरोना वैक्सीन की बर्बादी भी न के बराबर है। यही नहीं, प्रदेश में कोरोना वैक्सीन का टीका लगाने में प्रदेश सरकार का प्रीमियर स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी लक्ष्य से अधिक टीकाकरण कर रहा है। कोरोना वैक्सीन की एक वायल से हालांकि दस डोज देने का ही प्रावधान है, लेकिन चूंकि कंपनी की ओर से हर वायल में निर्धारित मात्रा से कुछ मिलीलीटर अधिक वैक्सीन डाली जाती है। ऐसे में आईजीएमसी शिमला का वैक्सीन टीकाकरण केंद्र वैक्सीन की इस अतिरिक्त मात्रा का शतप्रतिशत सदुपयोग कर रहा है और एक वायल से 10 लोगों के स्थान पर 11.5 डोज निकाल रहा है। ऐसे में 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को दी जा रही इस वैक्सीन के निर्धारित शतप्रतिशत लक्ष्य से अधिक लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। आईजीएमसी शिमला में कोविड वैक्सीन टीकाकरण के नोडल अधिकारी डा. शाद रिजवी के मुताबिक टीकाकरण केंद्र में 17 मई को निर्धारित लक्ष्य 100 के मुकाबले 106, 21 मई को 100 के मुकाबले 125 और सोमवार को 100 के मुकाबले 114 लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। डा़ शाद का कहना है कि एक ही अतिरिक्त व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन का टीका लगाने का मतलब एक अतिरिक्त जान बचाना है।
किसी भी वैक्सीन का टीका अवश्य लगवाएं
डा. शाद रिजवी का कहना है कि लोगों को कोरोना वैक्सीन के बारे में सभी शंकाओं को भूलकर उपलब्ध किसी भी वैक्सीन का टीका अवश्य लगवाना चाहिए क्योंकि कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाने का मतलब कोरोना से शत प्रतिशत बचाव है।
संक्रमण का 50% खतरा होगा कम
आईजीएमसी शिमला कोरोना वैक्सीन टीकाकरण केंद्र में साईट मैनेजर डॉ. गोपाल आशीष शर्मा के अनुसार कोरोना वैक्सीन लगवाने के बावजूद यदि कोई व्यक्ति इस महामारी से संक्रमित होता है तो भी उसके परिजनों को संक्रमण का खतरा 50 प्रतिशत कम हो जाता है क्योंकि वैक्सीन लगवाने से संक्रमण की प्रभावशीलता 50 फीसदी कम हो जाती है।