आसान होगी हमलावर कुत्तों की पहचान, शिमला में शुरू हुआ कॉलर क्यूआर कोड अभियान
हिमाचल प्रदेश की राजधानी व पर्यटन नगरी शिमला में अब लोग हमलावर कुत्तों की झट से और दूर से ही पहचान कर पाएंगे। नगर निगम शिमला ने लावारिस कुत्तों के गले में अलग-अलग रंगों के कॉलर लगाने का अभियान शुरू कर दिया है। जिन कुत्तों की प्रवृत्ति काटने की है, उन्हें लाल रंग का कॉलर पहनाया जाएगा। यह कॉलर खतरे का संकेत होगा ताकि लोग पहले से ही सावधान रह सकें। अन्य कुत्तों के गले में हरे, नीले और अलग रंगों के कॉलर लगाए जा रहे हैं। शनिवार को शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा ने रिज मैदान से एक लावारिस कुत्ते को कॉलर पहनाकर इस अभियान की औपचारिक शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह अभियान 29 अगस्त तक चलेगा। अभियान के तहत न सिर्फ कुत्तों को कॉलर पहनाया जा रहा है बल्कि उनकी वैक्सीनेशन और टैगिंग भी की जाएगी।
कुत्तों को मिलेगा यूनीक क्यूआर कोड
नगर निगम शिमला द्वारा लगाए जा रहे कॉलर में क्यूआर कोड वाले स्मार्ट टैग भी होंगे। इसे स्कैन करने पर कुत्ते की पूरी जानकारी जैसे उम्र, स्वास्थ्य, क्षेत्र, नसबंदी और एंटी रैबीज वैक्सीनेशन का डाटामिल जाएगा। विधायक जनारथा ने कहा कि इस अभियान से पूरे शहर में लावारिस कुत्तों की गिनती और उनकी वैक्सीनेशन की स्थिति का पता चल सकेगा।
देश का पहला नगर निगम
नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि शिमला देश का पहला नगर निगम है जहां इस तरह का अभियान शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि कुत्तों के काटने की घटनाओं से लोगों को नुकसान उठाना पड़ता था। अब इस अभियान से स्थिति पर काफी हद तक नियंत्रण लगेगा। उन्होंने कहा कि नगर निगम का लक्ष्य शहर के सभी लावारिस कुत्तों का स्टेरलाइजेशन करना है। इसके साथ ही आसपास की 17 पंचायतों में भी इस तरह के कार्यक्रम शुरू करने के लिए सरकार और प्रतिनिधियों से बात की जाएगी।
फीडिंग प्वॉइंट पर ही मिलेगा खाना
महापौर ने कहा कि शहर में जल्द ही चिह्नित फीडिंग जोन बनाए जाएंगे। इन्हीं स्थानों पर लावारिस कुत्तों को भोजन दिया जा सकेगा। अगर कोई व्यक्ति इन स्थानों के अलावा कुत्तों को खाना खिलाता है तो उस पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया जाएगा।