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HP Assembly Monsoon Session : एपीएमसी शिमला-किन्नौर में दुकानों के आवंटन पर सदन में हंगामा, वाकआउट

नियमों के तहत किया दुकानों का आवंटन: कृषि मंत्री
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HP Assembly Monsoon Session : हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को सदन में एपीएमसी शिमला-किन्नौर की दुकानों के आवंटन में अनियमितताओं को आरोपों पर भारी हंगामा हुआ। सदन में प्रश्नकाल के दौरान उठे इस मामले पर जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन में नारेबाजी की और कृषि मंत्री के जवाब से असंतुष्ट पूरा विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर गया।

इससे पहले, प्रश्नकाल के दौरान भाजपा सदस्य सुधीर शर्मा और रणधीर शर्मा के मूल और बलबीर वर्मा के अनुपूरक सवाल के माध्यम से एपीएमसी शिमला-किन्नौर के तहत पराला, शिलारू और टुटू की मंडियों की दुकानों के आवंटन में कथित अनियमितताओं का मामला उठाया। उन्होंने सभी 70 दुकानों के आवंटन को रद्द करने की मांग की और पूछा कि यदि अनियमितताएं नहीं हुई है तो फिर वहां के सचिव और अन्य कर्मचारी को क्यों बदला गया।

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इसके जवाब में कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि एपीएमसी शिमला-किन्नौर द्वारा कुल 70 दुकानों का आवंटन किया गया है। कृषि विपणन बोर्ड द्वारा अधिसूचित आवंटन नीति 2021 में निर्देशित प्रक्रिया अपनाई गई। उन्होंने कहा कि इसके तहत पराला में 34, शिलारू में 28 और टुटू में 8 दुकानों का आवंटन किया गया। उन्होंने कहा कि दुकानों का आवंटन बेस प्राइस से 150 रुपए से 900 रुपए तक के ऊंचे दामों पर अलाट किया गया।उन्होंने कहा कि दुकानों के आवंटन से संबंधित दो शिकायतें प्राप्त हुई थी। जिसकी विभागीय जांच कृषि विपणन बोर्ड द्वारा करवाई गई।

उन्होंने कहा कि नारकंडा एग्रोफ्रेश प्रोड्यूसर लिमिटेड द्वारा की गई शिकायत में पाया गया कि आवेदक ने जरूरी पांच लाख रुपए की प्रतिभूति राशि जमा नहीं करवाई थी। दूसरी शिकायत रोहित कुमार ने की थी। इसमें आवेदक द्वारा अपेक्षित श्रेणी का प्रमाण पत्र जमा नहीं करवाया गया था। इस कारण दोनों आवेदनों पर आवंटन के लिए विचार नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जो आवेदन रद्द किए गए, वे सभी दस्तावेजों के अभाव में रद्द किए गए।

इससे पूर्व, सुधीर शर्मा ने कहा कि एपीएमसी शिमला-किन्नौर की दुकानों के आवंटन में क्या कोई अनियमितता पाई गई है और क्या इसकी जांच करवाई गई है। साथ ही पूछा कि क्या अनियमितता के आरोप में कुछ कर्मचारी बदले गए हैं। वहीं, विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि एपीएमसी शिमला-किन्नौर में 70 दुकानों का आवंटन हुआ है और इसमें अनियमितताएं हुई हैं। 70 दुकानों के लिए 133 लोगों ने आवेदन दिए थे। एपीएमसी ने जानबूझकर 63 आवेदन रिजेक्ट कर दिए। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को दुकानें देनी थी, उनके ही आवेदन रखे और बाकी रिजेक्ट कर दिए। उन्होंने मांग की इस सारे मामले की न्यायिक जांच हो और सभी आवंटन रद्द किए जाएं। उन्होंने कहाकि पराला का सीए स्टोर 67 करोड़ में बना और 3.36 करोड़ वार्षिक पर लीज पर दे दिया गया है। उन्होंने मांग की कि सारे आरोपों की न्यायिक जांच करवाए।

इस पर कृषि मंत्री ने कहा कि सदन में जोर-जोर से बोलने से नहीं, बल्कि तथ्य रखकर बोलें। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष के पास कोई ठोस सबूत है तो वह सामने लाएं। उन्होंने कहा कि पराला में 34, शिलारू में 28 और टुटू में 8 दुकानें थी। इनके टेंडर लगाए गए थे और जो आवेदन रद्द किए गए, वे आवश्यक दस्तावेजों की कमियों के कारण रद्द किए। उन्होंने कहा कि इसमें किसी को भी दोषी करार नहीं दिया गया। ऐसे में यह कह देना कि धांधली हुई है, यह सरासर गलत है। फिर भी सदस्य तथ्यों के साथ लिखित में दें, वे जांच करवाएंगे।

विधायक बलबीर वर्मा ने सवाल किया कि पराला मंडी में दस साल पहले 60-70-80 हजार रुपए में आक्शन हुई थी और आज इनका आवंटन 5-6 हजार रुपए में किया है। उन्होंने कहा कि जिनको दुकानें मिलना चाहिए, उन्हें दुकानें नहीं मिली। इसकी विजिलेंस जांच हो। पराला सीए स्टोर में भी गड़बड़ी हुई है और इसकी निष्पक्ष जांच हो। कृषि मंत्री ने कहा कि पॉलिसी के तहत ही दुकानों का आवंटन किया गया है। इस बीच, विपक्षी सदस्य कृषि मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और सदन में शोर-शराबा करने लगे। इसके बाद उन्होंने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी और फिर वे नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।

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