हिमाचल की ऊन ने लंदन में बिखेरी अपनी चमक, परंपरा को मिला वैश्विक मंच
हिमाचल की पहाड़ियों से निकली ऊन की गरमाहट सोमवार को लंदन की फिज़ाओं में घुल गई। म्यूज़ियम ऑफ़ द होम में आयोजित ‘Interwoven: Wool Across Borders’ ने यह साबित कर दिया कि परंपरा और आधुनिकता का संगम केवल विचार नहीं, बल्कि जीवंत अनुभव है।
यह आयोजन Selvedge’s Crafting Regenerative Fashion Futures Symposium के तहत ब्रिटिश काउंसिल और खादी लंदन के सहयोग से हुआ। इसने दिखाया कि फैशन केवल पहनावे का हिस्सा नहीं, बल्कि संस्कृति, टिकाऊपन और आने वाले कल की सोच का प्रतीक भी है।
कुल्लवी व्हिम्स की पहली अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तुति
कुल्लवी व्हिम्स’ ने पहली बार हिमाचल प्रदेश की भेड़ों की ऊन से बने हस्तशिल्प को ब्रिटेन में प्रस्तुत किया। हर धागे में पारंपरिक बुनाई की आत्मा, प्राकृतिक रंगों की सुंदरता और कारीगरों की मेहनत की गहराई झलक रही थी। टीम ने गर्व से कहा कि ‘हिमालयी ऊन को लंदन तक लाना व्यापार नहीं, बल्कि हमारी विरासत और सहनशीलता को दुनिया से साझा करने का अवसर है।
अनुभव और संवाद का अनूठा मेल![]()
इस आयोजन में आगंतुकों ने हिमालयी वस्त्रों की कहानियां सुनीं, उनकी गरमाहट और गुणवत्ता को महसूस किया। कारीगरों का समर्थन करते हुए ऐसे शिल्प खरीदे, जो संस्कृति और संवेदनशीलता को आगे बढ़ाते हैं।
हिमाचली शिल्प का ‘वैश्विक सेतु’
Selvedge Magazine, British Council और Khadi London की यह साझेदारी हिमाचली ऊन और स्थानीय फाइबर को वैश्विक पहचान दिलाने का ‘शिल्प सेतु’ साबित हो रही है। यह पहल टिकाऊ फैशन को भविष्य की उम्मीद नहीं, बल्कि आज की ज़रूरत के रूप में पेश करती है।