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हिमाचल का वर्ष 2025-26 का आम बजट आज

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पेश करेंगे लगातार अपना तीसरा बजट
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। फाइल फोटो
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शिमला, 16 मार्च (हप्र)

हिमाचल प्रदेश सरकार का वर्ष 2025-26 का आम बजट सोमवार को प्रदेश विधानसभा में पेश होगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लगातार तीसरी बार प्रदेश का बजट पेश करेंगे। भारी आर्थिक संकट के बीच पेश होने जा रहे राज्य के आगामी वित्त वर्ष के इस बजट में सुक्खू सरकार को जनता को रियायतों की रेवड़ियां बांटना सबसे बड़ी चुनौती होगी। एक ओर जहां प्रदेश की जनता कांग्रेस द्वारा बीते विधानसभा चुनाव में दी गई चुनावी गारंटियों को पूरा करने की उम्मीद लगाए बैठी है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश का कर्मचारी वर्ग भी बजट से काफी आशावान है। प्रदेश के कर्मचारियों को वर्ष 2016 से लागू किये गए छठे वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक अभी तक उनका एरियर नहीं मिला है। यह एरियर लगभग 11000 करोड़ रुपए का है। इसके अलावा प्रदेश सरकार के कर्मचारियों का डीए 14 प्रतिशत तक लंबित हो गया है। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री अपने बजट भाषण में कर्मचारियों को एरियर और डीए को लेकर कोई घोषणा कर सकते हैं। वैसे भी हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष के अंत में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव होने हैं। ऐसे में सरकार को बजट में कर्मचारी ही नहीं बल्कि आम जनता का भी ध्यान रखना एक मजबूरी होगा ताकि इन चुनाव में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतरने में कोई दिक्कतें न हो।

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जानकारों के अनुसार हिमाचल प्रदेश का अगले वित्त वर्ष यानी 2025-26 का बजट 60 हजार करोड़ रुपये का पेश हो सकता है। सुक्खू सरकार का दूसरा बजट 58444 करोड़ का था और बजट में 7 नई योजनाएं तथा 3 नई नीतियां घोषित की गई थी। सुक्खू सरकार का पहला बजट 53413 करोड़ रुपये का था और बजट में 13 नई योजनाओं की घोषणा की गई थी।

सीमित संसाधनाें के बावजूद मुख्यमंत्री अपने तीसरे बजट में एक बार फिर राज्य को वर्ष 2027 तक आत्म निर्भर और 2032 तक देश का सबसे अमीर राज्य बनाने का संकल्प लेकर आएंगे। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश के हर वर्ग को सरकार के कुछ कड़े फैसलों के लिए तैयार रहना होगा। इनमें जनता पर करों का बोझ प्रमुख है। प्रदेश की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति के मद्देनजर बजट में आय के स्त्रोत बढ़ाने पर जोर होना तय है। व्यवस्था परिवर्तन का नारा भी एक बार फिर से बजट भाषण में देखने को मिलेगा।

राजस्व घाटा अनुदान धनराशि में कमी होने से वित्त वर्ष 2025-26 में सुक्खू सरकार को राजस्व घाटा अनुदान के तहत मिलने वाली धनराशि घटकर 3257 करोड़ रह जाएगी। वर्ष 2020-21 में हिमाचल को जहां राजस्व घाटा अनुदान के रूप में 10249 करोड़ रुपये मिले थे, वहीं वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 में राजस्व घाटा अनुदान घटकर 6258 करोड़ रह गया है। जो वर्ष 2025 26 में घटकर मैच 3257 करोड़ रुपए रह जाएगा।

जानकारों के अनुसार बजट में एक बार फिर मुख्यमंत्री ग्रीन हिमाचल पर फोकस कर सकते हैं। इसके लिए राज्य में खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना और वनों से होने वाली आए को रेगुलेट करना शामिल है। प्राकृतिक खेती भी मुख्यमंत्री के बजट भाषण का प्रमुख हिस्सा हो सकता है, क्योंकि राज्यपाल के अभिभाषण में भी इस मुद्दे पर सरकार ने काफी जोर दिया है। इसके अलावा मुख्यमंत्री बजट में राज्य के युवाओं को खासकर सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए नई नौकरियों की घोषणा कर सकते हैं। बजट में स्वरोजगार को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित होना तय है क्योंकि प्रदेश में सरकारी क्षेत्र में रोजगार के सीमित अवसर हैं। ऐसे में एमएसएमई को बढ़ावा देने की सरकार बड़े पैमाने पर बात कर सकती है।

बजट में दूध खरीद मूल्य और सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी तथा प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना के तहत और अधिक महिलाओं को लाने की भी मुख्यमंत्री घोषणा कर सकते हैं। इस योजना के तहत सरकार को पत्र महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये की सम्मान राशि देनी है। कांग्रेस ने बीते विधानसभा चुनाव में इस संबंध में प्रदेश की महिलाओं को चुनावी गारंटी दी थी।

हिमाचल प्रदेश पर बढ़ता कर्ज मुख्यमंत्री के लिए बजट पेश करने में बड़ी चुनौती होगा। राज्य पर अभी तक लगभग एक लाख करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है। ऐसे में मुख्यमंत्री अपने बजट भाषण में फिर से केंद्र सरकार की ओर उम्मीदें लगा सकते हैं क्योंकि हिमाचल के पास संसाधनों की कमी है और राज्य अधिकांश विकास कार्यों के लिए केंद्र पर निर्भर है।

 

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