शिमला, 7 फरवरी (निस)
पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के चमोली जिला की धौली गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में आज ग्लेशियर के टूटने से आई बाढ़ ने हिमाचल को भी चिंतित कर दिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्राकृतिक आपदा में ग्लेशियर टूटने से हुई तबाही पर गहरा दुख जताया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने एक ट्वीट संदेश में कहा है कि इस दुखद परिस्थिति में हम उत्तराखंड के साथ खड़े हैं। जयराम ठाकुर ने देवभूमि हिमाचल के देवी देवताओं से इस कठिन समय में सभी प्रभावित लोगों की सुरक्षा की प्रार्थना की है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड की भांति हिमाचल भी प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील है। खासकर हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों के पिघलने से बनी झीलों से हिमाचल को अत्यधिक खतरा है। एक सर्वेक्षण के अनुसार हिमाचल प्रदेश में ग्लेशियर के कारण बनने वाली झीलों की संख्या 705 है। इनमें से अकेले 390 छोटी बड़ी झीलें सतलुज बेसिन में हैं। अध्ययन के मुताबिक पिछले दो सालों में ही हिमाचल के अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ग्लेशियरों से 109 झीलें बन चुकी हैं। राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकी व पर्यावरण परिषद द्वारा करवाए गए एक अध्ययन के मुताबिक प्रदेश के चिनाब, रावी, व्यास और सतलुज नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में ग्लेशियरों के पिघलने में आई तेजी के कारण नई झीलें बन रही हैं। अध्ययन में कहा गया है कि ग्लेशियरों से बनने वाली इन झीलों की नियमित निगरानी से ही इनके फटने पर होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। तिब्बत में पारछू नदी में ग्लेशियर से बनी झील के टूटने से 26 जून, 2005 को हिमाचल में बहने वाली सतलुज नदी में आई बाढ़ किसी से छिपी नहीं है। इस प्राकृतिक आपदा में 2005 में 800 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ था।