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हिमाचल को गोल्डन माहशीर के संरक्षण के लिए मिला अवॉर्ड

हिमाचल प्रदेश के मत्स्य पालन विभाग को सफल कैप्टिव प्रजनन योजना के माध्यम से गंभीर रूप से लुप्तप्राय गोल्डन माहशीर के संरक्षण की दिशा में अनुकरणीय और अग्रणी प्रयासों के लिए प्रतिष्ठित स्कॉच गोल्ड अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया...

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हिमाचल प्रदेश के मत्स्य पालन विभाग को सफल कैप्टिव प्रजनन योजना के माध्यम से गंभीर रूप से लुप्तप्राय गोल्डन माहशीर के संरक्षण की दिशा में अनुकरणीय और अग्रणी प्रयासों के लिए प्रतिष्ठित स्कॉच गोल्ड अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया है।

यह प्रतिष्ठित पुरस्कार 20 सितंबर को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित एक समारोह में प्रदान किया गया। गोल्डन माहशीर एक ताजे पानी की मछली की प्रजाति है जो न केवल राज्य की जलीय जैव विविधता का प्रतीक है बल्कि हिमाचल प्रदेश, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की राज्य मछली भी है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस उपलब्धि के लिए विभाग को बधाई दी है।

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उन्होंने कहा कि स्कॉच गोल्ड अवॉर्ड जैव विविधता संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार की अटूट प्रतिबद्धता और अभिनव दृष्टिकोण का एक प्रमाण है। यह पुरस्कार विभाग की ओर से राज्य मत्स्य पालन के निदेशक एवं प्रारक्षी हिमाचल प्रदेश विवेक चंदेल और सहायक निदेशक, मत्स्य, डॉ. सोम नाथ ने प्राप्त किया।

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मत्स्य पालन क्षेत्र प्रदेश के लगभग 20,000 लोगों को बतौर मछुआरे, फिश फार्मर, मछली विक्रेता और मछली उद्यमी के रूप में रोज़गार प्रदान करता है। पिछले कुछ दशकों में जलविद्युत परियोजनाओं से आवास के क्षरण, अत्याधिक मछली पकड़ने और मानवीय गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण सहित कई खतरों के कारण हिमाचल प्रदेश में गेल्डन माहशीर की आबादी में चिंताजनक गिरावट आई है। इसके दृष्टिगत मत्स्य पालन विभाग ने एक महत्त्वपूर्ण और वैज्ञानिक रूप से समर्थित कैप्टिव प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया। 2016 में स्थापित, मछ्याल माहशीर फार्म में वार्षिक अंगुलिकाओं का उत्पादन कभी भी 5,000 से अधिक नहीं हुआ जिस कारण यह फार्म शुरुआत से ही संघर्ष कर रहा था।

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