Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Himachal Pardesh : हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का सुक्खू सरकार को तगड़ा झटका, 900 कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश

बागवानी विभाग में आउटसोर्स के माध्यम से अनुबंध पर नियुक्त 900 कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

Himachal Pardesh : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बागवानी विभाग को आदेश दिए हैं कि वह अपने विभिन्न संस्थानों में आउटसोर्स के माध्यम से अनुबंध पर नियुक्त सभी याचिकाकर्ताओं को नियमित करे। बागवानी विभाग के तहत आउटसोर्स आधार पर काम करने वाले लगभग 900 कर्मियों को इस आदेश का लाभ मिलेगा। कोर्ट ने विभाग को आदेश दिए हैं कि वह हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित नियमितीकरण नीति के अनुसार, दो वर्ष की अनुबंध सेवा पूरी करने के बाद याचिकाकर्ताओं की अनुबंध सेवाओं को नियमित करें।

न्यायाधीश संदीप शर्मा ने सैंकड़ों याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किए। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के विभिन्न फैसलों के आधार पर कहा कि यह स्पष्ट है कि एक कल्याणकारी संस्था के रूप में, राज्य सरकार का नीति-निर्देशक सिद्धांतों के अंतर्गत मानव गरिमा की रक्षा करना संवैधानिक कर्तव्य है। हालाँकि न्यायालय सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन के लिए राज्य सरकार को सीधे उत्तरदायी बनाने वाला कोई व्यापक नियम बनाने से बचता है, लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि राज्य सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकता और ऐसे मामलों में जहाँ संस्था का उपयोग अन्यायपूर्ण, असमान या कपटपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाता है, वहां अदालत द्वारा सरकार का कॉर्पोरेट पर्दा हटाया जा सकता है।

Advertisement

इन मामलों में याचिकाकर्ताओं को विभिन्न पदों पर अनुबंध के आधार पर नियुक्ति की पेशकश की गई थी, जैसे सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता (सिविल इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल इंस्ट्रूमेंटेशन), ड्राफ्ट्समैन, फैसिलिटेटर, सर्वेक्षक, तकनीकी फैसिलिटेटर, पदस्थ अधिकारी, प्रोग्रामर, एमए खरीद, एमए लेखा, फार्म प्रबंधक, सहायक फार्म प्रबंधक, कार्यालय सहायक (प्रबंधन/आईटी)। इन्हें या तो परियोजना प्रबंधक, हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास समिति या निदेशक, बागवानी द्वारा, विभिन्न वेतनमानों आदि पर आउट सोर्स आधार पर रखा गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई नियमितीकरण नीति के अनुसार इन्हें नियमितीकरण के लाभ से वंचित किया जा सके।

सरकार का आउटसोर्स मामलों में यह तर्क होता है कि वे प्रतिवादी राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि विभिन्न समितियों, ठेकेदारों, एजेंसियों के कर्मचारी हैं। याचिकाकर्ताओं को हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास समिति और बागवानी निदेशक, हिमाचल प्रदेश द्वारा अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए जाने के बाद हिमाचल प्रदेश के बागवानी निदेशालय के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड, राज्य बागवानी विश्वविद्यालयों और नर्सरी प्रबंधन समितियों आदि में लगाया गया। राज्य सरकार का कहना था कि हिमाचल प्रदेश सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 2006 के तहत हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास सोसायटी का गठन किया गया है। सोसायटी के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इसके द्वारा 4.6.2018 को कनिष्ठ अभियंता (सिविल) के पदों सहित विभिन्न प्रकार के पदों की संख्या का विज्ञापन दिया गया।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इसी तरह की स्थिति में, इसी तरह बनाई गई सरकारी सोसाइटियां (अर्थात् हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन सोसाइटी, वन विभाग के अंतर्गत-सर्व शिक्षा अभियान हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के अंतर्गत स्कूल शिक्षा सोसाइटी, ई-गवर्नेंस राजस्व विभाग के अंतर्गत सोसाइटियाँ, वन विभाग के अंतर्गत एकीकृत वाटरशेड विकास परियोजना, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हिमाचल प्रदेश विद्युत निगम, वन विभाग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश चिड़ियाघर संरक्षण सोसाइटी, हिमाचल प्रदेश रेड क्रॉस सोसाइटी, हिमऊर्जा, रोगी कल्याण समिति, जिला ग्रामीण अभिकरण ने कई लोगों को नियुक्त किया, जो शुरू में अस्थायी, अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए थे, लेकिन बाद में उन्हें वरिष्ठता और अन्य लाभों के साथ संस्थान में रिक्त पदों पर अपने उत्तराधिकारी उपक्रम में समायोजित/स्थानांतरित कर दिया गया और कुछ कर्मचारियों को हिमाचल प्रदेश सरकार के वन विभाग सहित अन्य विभागों में समायोजित किया गया और उन्हें हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई नियमितीकरण नीति के अनुसार नियमित किया गया।

सरकार का तर्क था कि याचिकाकर्ता बागवानी विभाग के कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि वे सोसायटी के कर्मचारी हैं, जो एक स्वायत्त निकाय है और इस तरह, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा तैयार नियमितीकरण की नीति का लाभ नहीं ले सकते। याचिकाकर्ताओं को एक विशिष्ट कार्य के लिए सोसायटी में अस्थायी रूप से नियुक्त किया गया था और एक बार सोसायटी का काम समाप्त हो जाने के बाद, याचिकाकर्ता नियमितीकरण की नीति के संदर्भ में नियमितीकरण का दावा नहीं कर सकते हैं।

सरकार का कहना था कि अनुबंध कर्मियों को नियमित करने की नीति आउटसोर्स कर्मियों के लिए नहीं बल्कि यह नीति केवल उन कर्मचारियों पर लागू होती है, जिन्हें हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग या तत्कालीन हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड के माध्यम से भर्ती किया गया था। प्रतिवादियों द्वारा दायर जवाब में यह भी कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं की सेवाएं परियोजना के साथ ही समाप्त हो रही हैं। हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलों को नकारते हुए सभी याचिकाकर्ताओं को नियमित करने के आदेश जारी किए।

Advertisement
×