Himachal News : सनौरा–नेरीपुल सड़क की बदहाली पर कांगू के जुबड़ी में प्रदर्शन
हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक इलाकों की धड़कन मानी जाने वाली सनौरा–नेरीपुल सड़क की जर्जर हालत को लेकर मंगलवार को कांगू के जुबड़ी में ग्रामीणों, युवाओं और बुजुर्गों ने एकजुट होकर उग्र प्रदर्शन किया। भीड़ ने सरकार से सड़क की तत्काल मरम्मत, स्टेट हाईवे का दर्जा और भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक जैसी मांगें उठाईं। प्रदर्शनकारियों ने साफ चेतावनी दी कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
70% सेब उत्पादन जुड़ा है इस सड़क से
यह सड़क सिर्फ एक मार्ग नहीं, बल्कि प्रदेश की फल अर्थव्यवस्था की मुख्य नस है। अनुमान के मुताबिक शिमला, सिरमौर और किन्नौर जिलों के करीब 70 फीसदी सेब का परिवहन इसी मार्ग से होता है। सेब सीजन (जुलाई से अक्तूबर) में यहां ट्रैफिक कई गुना बढ़ जाता है, लेकिन सड़क की चौड़ाई इतनी कम है कि दो बड़े वाहन एक साथ मुश्किल से गुजर पाते हैं।
9 टन क्षमता वाली सड़क पर दौड़ रहे 30 टन के वाहन
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क का डिजाइन और ढांचा अधिकतम 9 टन भार के लिए है, लेकिन 25–30 टन तक के ओवरलोडेड ट्रक रोजाना गुजरते हैं। इन वाहनों का दबाव न केवल सड़क की परतें उखाड़ रहा है, बल्कि मोड़ों और ढलानों पर नियंत्रण खोने की घटनाएं भी बढ़ा रहा है।
हादसों और जाम का सिलसिला
सड़क के कई हिस्सों में गड्ढे इतने गहरे हैं कि बरसात के दौरान पानी भरने से वे छोटे तालाब जैसे दिखते हैं। संकरी ढलानों और तीखे मोड़ों पर भारी वाहनों की आवाजाही से आए दिन जाम की स्थिति बन जाती है। पिछले दो महीनों में कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें से कुछ घटनाओं में जान-माल का नुकसान भी हुआ है।
अर्थव्यवस्था को सीधा झटका
सेब का परिवहन समय पर न होने से किसानों और बागवानों को लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। फल देर से मंडियों में पहुंचने पर उनकी गुणवत्ता गिर जाती है और कीमत कम हो जाती है। स्थानीय व्यापारी बताते हैं कि सड़क की खराब हालत और जाम के कारण ट्रक चालक भी इस मार्ग से गुजरने से कतराने लगे हैं, जिससे वैकल्पिक और लंबा रास्ता अपनाना पड़ता है।
स्थानीय नेताओं का समर्थन
प्रदर्शन में ग्राम पंचायत प्रधान रुपेंद्र सिंह, जिला परिषद सदस्य विनय भगनाल, बीजेपी नेता निहाल रपटा, पूर्व प्रधान जोगिंदर सिंह चौहान, मनीष भगनाल और अजय शर्मा सहित कई स्थानीय नेता मौजूद रहे। इन नेताओं ने एक सुर में कहा कि अगर जल्द सड़क चौड़ीकरण और मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ तो प्रदेश स्तरीय आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
क्या कहते हैं गांव के प्रधान
ग्राम पंचायत धनाच मनवा के प्रधान रूपेंद्र सिंह ने कहा कि यह सड़क जानलेवा बन चुकी है। ओवरलोडेड ट्रकों से जहां सड़क टूट रही है, वहीं छोटे वाहनों और पैदल चलने वालों की सुरक्षा खतरे में है।
जिप सदस्य यह बोले
जिला परिषद सदस्य विनय भगनाल ने कहा कि यह सिर्फ सड़क का मुद्दा नहीं, बल्कि सेब उत्पादक प्रदेश की रीढ़ की हड्डी बचाने का सवाल है। अगर सरकार ने लापरवाही की, तो हम सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेंगे।”
ये हैं मांगें
-सड़क की तत्काल मरम्मत और चौड़ीकरण
- सनौरा–नेरीपुल मार्ग को स्टेट हाईवे का दर्जा
- 25–30 टन के ओवरलोडेड भारी वाहनों पर पूर्ण रोक
- हादसों की रोकथाम के लिए सुरक्षा बैरियर और संकेत बोर्ड
- मॉनसून के दौरान विशेष रखरखाव दल की नियुक्ति
चक्का जाम का अल्टीमेटम
ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि 15 दिन के भीतर अगर सड़क पर काम शुरू नहीं हुआ, तो राजगढ़ और शिमला में चक्का जाम किया जाएगा। इसके अलावा सेब सीजन के दौरान ट्रकों की आवाजाही रोकने के लिए मानव श्रृंखला बनाने की योजना भी तैयार की जा रही है।