प्रदर्शन से हिमाचल बार काउंसिल नाराज, कार्रवाई की मांग
हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल ने शिमला में जनरल हाउस की आपात बैठक का आयोजन किया, जो हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा 'युग हत्याकांड' में दिए गए निर्णय के बाद शिमला शहर में बड़ी संख्या में लोगों द्वारा निकाले गए जुलूस के मामले से संबंधित थी। इस मामले में हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल ने पाया है कि युग हत्याकांड में प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय सुनाए जाने के बाद, जनता के एक निश्चित वर्ग ने नारे लगाकर, अभद्र भाषा का प्रयोग करके और निर्णय देने वाले न्यायाधीशों तथा न्यायिक व्यवस्था के विरुद्ध कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणियां करके उपद्रवी आचरण किया।
प्रदेश बार काउंसिल ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि इस प्रकार के कृत्य कानून की गरिमा का घोर अनादर, न्यायपालिका की गरिमा का अपमान और कानून के शासन की नींव पर प्रहार हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता भारतीय संविधान की मूलभूत विशेषताओं में से एक है और न्यायपालिका को धमकाने, उसका दुरुपयोग करने और उसे डराने-धमकाने का कोई भी प्रयास न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास को कमज़ोर करता है। जिस संबंधित प्राधिकारी ने अनुमति दी थी, उसका यह कर्तव्य था कि वह ऐसी अनुमति देने से पहले उसके परिणामों की कल्पना करे। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदार पुलिस अधिकारी भी बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने में अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे। प्रदेश बार काउंसिल ने नारेबाजी, शोरगुल, गाली-गलौज और फैसला सुनाने वाले न्यायाधीशों की छवि धूमिल करने के प्रयास की घटना की कड़ी निंदा की। काउंसिल ने उन लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया जो जुलूस में शामिल थे और जिन्होंने अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया था। साथ ही, अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहने वाले सरकारी अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय की जाए।