सेवानिवृत्ति जजों के बकाये का भुगतान न करने से हाईकोर्ट नाराज
वित्त सचिव को 10 करोड़ के ड्राफ्ट के साथ बुलाया
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त जजों के बकाया भुगतान को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने राज्य के वित्त सचिव को आदेश दिया है कि वह 10 करोड़ रुपये के ड्राफ्ट के साथ व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित हों। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया जाएगा।
चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया और जस्टिस रंजन शर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई से पहले यह राशि हाईकोर्ट के खाते में जमा कर अदालत में प्रस्तुत की जानी चाहिए। अदालत का यह रुख तब आया जब राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट को आवश्यक धनराशि जारी नहीं की गई और लंबित वित्तीय मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
रजिस्ट्रार (खाते) की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायाधीशों के चिकित्सा व्यय, यात्रा भत्ता, वर्दी, नये वाहन और आतिथ्य व्यय के मद में 10 करोड़ से अधिक की राशि बकाया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह कमलेश कुमार पंत ने अपने हलफनामे में कहा कि सेवानिवृत्त जजों को आंध्र प्रदेश मॉडल के अनुसार भुगतान किया जा रहा है। हालांकि, अदालत ने इस दावे पर संतोष व्यक्त नहीं किया और निर्देश दिए कि 81,23,864 रुपये की मांग, जिसमें चिकित्सा बिलों के 58 लाख और मानदेय 3 लाख शामिल हैं, शीघ्र अदा किए जाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि 12 जुलाई, 2023 से 7 अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों और 39 सिविल न्यायाधीशों की नई अदालतें सृजन के लिए लंबित हैं, जिन पर शीघ्र निर्णय
आवश्यक है।

