शिमला, 17 जून (निस)
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में चल रहे अंतर्राट्रीय साहित्य उत्सव के दूसरे व अंतिम दिन गुलजार के साथ विशाल भारद्वाज की बातचीत साहित्य उत्सव का मुख्य आकर्षण रहा। विशाल भारद्वाज के गाने ‘डार्लिंग आँखों से आंखे चार होने दो, रोको न टोको न गाने से जहां पूरा गेयटी थियटर गूँज उठा वहीं दूसरी ओर गुलजार ने आंखें कुछ लाल सी हैं, रात को जागे तो नहीं, रात जब बिजली गयी थी डर कर भागे तो नहीं भी मुशायरा पेश कर साहित्य उत्सव को अपने नाम कर लिया। विशाल भारद्वाज के गाने और गुलजार के मुशायरे की इस जुगलबंदी पर ऐतिहासिक गेयटी थियेटर वाहवाही से गूंज उठा। वहीं दूसरी ओर फिल्म अभिनेत्री, निर्देशिका, लेखिका, चित्रकार व फोटोग्राफर दीप्ति नवल ने इस मौके पर साहित्य की अपनी परिभाषा से लोगों को अवगत करवाया।
दीप्ति नवल का कहना था कि डिजिटल युग में साहित्य का अपना अलग महत्व और अस्तित्व है। इंटरनेट मीडिया में आज कई लोग लिखते हैं लेकिन यह पता ही नहीं होता कि लिखने वाला कौन है व उसके विचार कैसे हैं। दिप्ती नवल ने कहा कि यह साहित्य अकादमी का अच्छा प्रयास है कि इस तरह का आयोजन शिमला के गेयटी थिएटर में हो रहा है। अरसे के बाद यहां ऐसा आयोजन हुआ है भविष्य में भी इस तरह के आयोजन यहां होंगे। दीप्ति नवल ने कहा कि रेडलाइट एरिया को एक लेखिका के तौर पर लिखा। मेरा काम चीजों को उठाना है बाकि विभागों का काम है उसमें सुधार करें। राइटर की जॉब मुद्दों को सामने लाना है। इसमें सुधार सरकार, विभागों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का काम है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दीप्ति नवल ने कहा कि मैं आधी हिमाचली हूं आधी पंजाबी। मेरा कनेक्शन हिमाचल से हैं। मेरे नाना पहाड़ी आदमी थे। वह डोगरी थे व मूलत: कांगड़ा के रहने वाले थे जबकि मेरे पिता पंजाब के थे। मेरा कनेक्शन हिमाचल व पंजाब दोनों ही स्थान से है। वर्ष 1956 में रोहतांग पास गई थी उस वक्त सड़कें भी नहीं होती थी। अब टनल भी बन गई है फ्लाई ओवर भी बन जाएंगे। इस बीच 18 जून को वायसराय सभागार में अभिव्यक्ति के इस उत्सव में विशेष रूप से दीप्ति नवल का व्याख्यान होगा। 18 जून को ही मैं क्यों लिखता हूं, लिखती हूं की अध्यक्षता रघुवीर चौधरी करेंगे। वहीं अमेरिका से विजय शेषाद्रि, चित्रा बैनर्जी दिवाकरुणी, मंजुला पद्मनाभन, मेडागास्कर से अभय के, दक्षिण अफ्रीका से अंजू रंजन, यूके से दिव्या माथुर, सुनेत्र गुप्ता, नीदरलैंड से पुष्पिता अवस्थी और नॉर्वे से सुरेश चंद्र शुल्क प्रवासी भारतीय साहित्यिक अभिव्यक्तियां विषय पर होने जा रहे संवाद की अध्यक्षता विजय शेषाद्रि करेंगे।