सिरमौर में महकेंगी अमरूद की बगिया
हितेश शर्मा/निस
नाहन, 5 फरवरी
जिला सिरमौर में जल्द ही अमरूद की बगिया महकेंगी। यहां 2400 बीघा जमीन पर अमरूद की खेती की योजना तैयार हो गई है। एचपी शिवा प्रोजेक्ट के तहत इस योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा। योजना के सिरे चढ़ने से न केवल जिले के किसानों की तकदीर बदलेगी, बल्कि उनकी आर्थिकी भी मजबूत होगी।
दरअसल, जिले में सबट्रॉपिकल फ्रूट में अमरूद की खेती को लेकर एचपी शिवा प्रोजेक्ट एक नई फ्रूट क्रांति की ओर कदम बढ़ाने जा रहा है। हिमाचल में जहां किन्नौर, शिमला और कुल्लू का सेब प्रदेश की आर्थिकी में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, वहीं आने वाले कुछ समय में सिरमौर भी बेहतर किस्म के अमरूद की खेती के लिए पहचाना जाएगा। जिले में श्वेता और हिसार सफेदा किस्मों के अमरूद के बगीचे लगाए जा रहे हैं। हाल ही में हिसार सफेदा की नई किस्म को इंट्रोड्यूज किया गया है। योजना के प्रथम चरण में 28 हैक्टेयर जमीन पर अमरूद के बगीचे तैयार कर दिए गए हैं। अमरूद के बगीचों के लिए एडीबी बैंक की ओर से की जाने वाली फंडिंग से इस योजना को अंजाम दिया जा रहा है। बागवानी विभाग द्वारा इस योजना के लिए जिले में 17 क्लस्टर बनाए गए हैं, जिसमें फिलहाल नाहन और पांवटा साहिब के किसानों को शामिल किया गया है। इस योजना के तहत नाहन के डूंगी सैर की 3.78 हैक्टेयर, जमटा महीपुर रोड़ क्षेत्र के जुड़ग में 5 हैक्टेयर, सिंबलवाड़ा में 8.10 हैक्टेयर, नाहन के बुडड़ियों में 4 और खैरी चांगण में 7 हैक्टेयर जमीन पर अमरूद के बगीचे तैयार कर दिए गए हैं।
27 हैक्टेयर पर बगीचे तैयार
बागवानी विभाग सिरमौर के विषय विशेषज्ञ राजीव टेगटा ने बताया कि आगामी मार्च-अप्रैल में सिरमौर 32 हैक्टेयर जमीन पर अमरूद के बगीचे लगाने की तैयारी की गई है, जबकि, 28 हैक्टेयर जमीन पर बगीचे तैयार हो चुके हैं। इस योजना के तहत जिला सिरमौर में 200 हैक्टेयर यानी 2400 बीघा जमीन पर अमरूद के बगीचे लगाने का लक्ष्य है।
इस समय अमरूद की जबदस्त डिमांड
बता दें कि अमरूद की भारतीय बाजार में जबरदस्त डिमांड है। इसकी बड़ी वजह यह है कि अमरूद में मौजूद पोटाशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। इसमें विटामिन ए और सी, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके साथ-साथ आयरन और फोलिक एसिड एनीमिया से भी राहत दिलाते हैं।
एमएसपी पर बगीचों से ही उठेगा उत्पाद
योजना के तहत किसानों को अमरूद की मार्केटिंग के लिए भी धक्के नहीं खाने पड़ेंगे। लाभार्थी के उत्पाद को बगीचे से ही एमएसपी रेट पर उठाया जाएगा। यही नहीं ग्रेडिंग के बाद जो वेस्टेज होगी, इसे हिमकू की प्रोसेसिंग यूनिट में जूस के लिए भेजा जाएगा। इस यूनिट को सिरमौर के धौलाकुआं में बनाने का कार्य भी बड़े स्तर पर चल रहा है।