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रामलीला के मंचों पर भव्यता, दर्शक दीर्घा में सूनापन

सोलन के गंज बाजार में 42 वर्षों से जारी मंचन, अब अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद

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सोलन के गंज बाजार में रामलीला मंचन का दृश्य। -निस
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यशपाल कपूर/निस

सोलन, 22 अक्तूबर

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रामलीला मंचों पर भले ही भव्यता बढ़ी हो, लेकिन दर्शक दीर्घा धीरे-धीरे सूने हो रहे हैं। आलम यह है कि रामलीला की आयोजन समितियों को अस्तित्व बचाने के लिए जूझना पड़ रहा है। हिमाचल के सोलन के गंज बाजार में 42 वर्ष से भी अधिक समय से रामलीला हो रही है। बताते हैं कि 42 साल पहले सोलन के समाजसेवी व व्यवसायी जगमोहन मल्होत्रा, योगेंद्र सेठी, देवेद्र सूद, बृजमोहन जेठी आदि ने श्री जगदंबा रामलीला मंडल का गठन किया। इनके अलावा मोहन दत्त शर्मा, ईश्वर सिंह रावत, मोहन कंडारा, पंपी शर्मा, संजय सूद, रूप राम, केश्व कौशिक, बालक राम, बालिया राम, सतपाल व अशोक गागट ने इस स्वस्थ परंपरा की शुरुआत की। श्री जगदंबा रामलीला मंडल के संस्थापक जगमोहन मल्होत्रा ने बताया कि पहले वर्ष 1982 में वह डायरेक्शन और स्टेज संभालते थे। राम का किरदार केशव, लक्ष्मण का किरदार रूप राम, सीता का बालक राम, रावण का सुभाष अग्रवाल,हनुमान का रोल महेंद्र गुलाटी और हुकमचंद ने किया था और मेघनाथ का किरदार कृष्ण लाल मरवाह ने निभाया था। उन्होंने बताया कि उस वक्त हनुमान के किरदार को उड़ता हुआ देखने के लिए लोग रातभर बैठे रहते थे। उन्होंने बताया कि मंच सज्जा के लिए बजट की कमी होती थी। लोग घर से साड़ियां लेकर आते थे। मंच से जुड़े लोगों का कहना है कि अब मोबाइल और इंटरनेट के जमाने में दर्शक कम हुए हैं। इस संबंध में पहली रामलीला में मेघनाथ का किरदार निभा चुके और तब से लेकर अब तक श्री जगदंबा रामलीला मंडल के साथ सक्रियता से जुड़े सदस्य कृष्ण लाल मरवाह ने बताया कि उस समय रामलीला के लिए दस हजार जमा होता था जो आज पांच से छह लाख हो गई है। रामलीला बेहतर हो, इसके लिए सोलन से बाहर के कलाकारों को भी बुलाया जाता था।

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