शिमला, 11 जुलाई (निस)
हिमाचल सरकार सेब व अन्य फलों के साथ-साथ कृषि उपजों की पैकिंग में काम आने वाली सामग्री पर जीएसटी कम करने के पक्ष में है। पैकिंग सामग्री पर जीएसटी की दर में 6 फीसद कटौती की किसानों व बागवानों की मांग के बाद प्रदेश सरकार ने इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाया है। माना जा रहा है कि जीएसटी परिषद की आगामी बैठक में हिमाचल सहित अन्य राज्यों की मांग पर भी पैकिंग सामग्री पर जीएसटी की दरों में कटौती होगी। सनद रहे कि पैकेजिंग मैटीरियल पर जीएसटी की दरों में कटौती का मुद्दा हाल ही में चंडीगढ़ में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में भी उठाया गया। प्रदेश में सेब के साथ-साथ अन्य फलों की पैकिंग कर इसे बाजार में भेजने के लिए पैकेजिंग मैटीरियल का इस्तेमाल होता है। पैकेजिंग सामग्री पर पहले जीएसटी की दर 12 फीसद थी, मगर इसे बढ़ा कर 18 फीसद कर दिया गया है। जीएसटी की दर में बढ़ोतरी होने से सेब की पैकिंग में काम आने वाले कार्टन व ट्रे महंगे हो गए हैं। 30 से 40 रुपए तक कार्टन के दाम बढ़े हैं। इसका सीधा असर छोटे व मंझोले बागवानों पर पड़ रहा है। प्रदेश में 90 फीसद के करीब छोटे व मंझोले बागवान हैं। पैकेजिंग सामग्री महंगी होने को कांग्रेस व माकपा के साथ-साथ अन्य विपक्षी दल भी मुद्दा बना रहे हैं। बागवान लगातार इस पर जीएसटी कम करने की मांग कर रहे हैं। बीते दिनों मुख्य सचिव राम सुभग सिंह की अध्यक्षता में बागवानों के साथ हुई बैठक में भी यह मुद्दा गूंजा। बैठक में मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने इस मुद्दे पर केंद्र से बात करने का भरोसा दिया था। सूत्रों का कहना है कि मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने इस मुद्दे पर सोमवार को दिल्ली में केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ बात की है। पैकेजिंग सामग्री पर जीएसटी को 18 से घटा कर 12 फीसद करने के मुद्दे पर मुख्य सचिव ने दिल्ली में बात की है। लिहाजा अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में है।
सेब पैकिंग में हर साल लगते है 3 करोड़ बॉक्स
हिमाचल में हर साल करीब 3 करोड़ कार्टन बॉक्स सेब की पैकेजिंग में काम आते हैं। इसके अन्य फलों को मंडियों तक पहुंचाने में भी पैकेजिंग सामग्री का इस्तेमाल होता है। हिमाचल के अलावा जम्मू कश्मीर व उत्तराखंड के किसान व बागवान भी पैकेजिंग सामग्री महंगी होने से प्रभावित हैं।