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शिमला के लिंडीधार में फोरलेन का डंगा धराशायी, खतरे में कई घर

शिमला, 3 जुलाई (हप्र) राजधानी शिमला के ढली क्षेत्र के लिंडीधार गांव में बृहस्पतिवार को फोरलेन सड़क का डंगा ढह जाने से आधा दर्जन मकान खतरे में आ गए। इस घटना में सैकड़ों सेब के पेड़ मलबे में दब गए...
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शिमला, 3 जुलाई (हप्र)

राजधानी शिमला के ढली क्षेत्र के लिंडीधार गांव में बृहस्पतिवार को फोरलेन सड़क का डंगा ढह जाने से आधा दर्जन मकान खतरे में आ गए। इस घटना में सैकड़ों सेब के पेड़ मलबे में दब गए और आसपास के घरों को खतरा पैदा हो गया। इससे पहले भी ये सुरक्षा दीवार गिर चुकी है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में आज ये डंगा पूरी तरह गिर गया। इस घटना में प्रभावित स्थानीय लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, एनएचएआई पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। लिंडीधार गांव के कई परिवार अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।

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इस बीच जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंच गए तथा स्थिति का जायजा लिया। जिला प्रशासन ने डंगा गिरने के कारण खतरे की जद में आए घरों के लोगों को वहां से सुरक्षित स्थान पर भेजना शुरू कर दिया।

वहीं फोरलेन के शिमला में निर्माणाधीन कार्य को लेकर उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आज बैठक आयोजित की गई। उपायुक्त ने कहा कि भट्टाकुफर में पांच मंजिला भवन के गिरने की घटना की जांच विशेष कमेटी करेगी। उन्होंने अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी कानून एवं व्यवस्था पंकज शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के निर्देश दे दिए हैं। कमेटी मकान गिरने के कारणों, नुकसान और प्रभावितों को सहायता मुहैया करवाने को लेकर विस्तृत रिपोर्ट देगी।

अनुपम कश्यप ने कहा कि फोरलेन निर्माण के कारण लोगों के घरों पर खतरा बना हुआ है, जिसको लेकर कई लोगों की शिकायतें प्रशासन के पास आई हैं। पुलिस के माध्यम से ड्रोन सर्वे करवाया जा रहा है और ऐसे स्थानों की पहचान की जा रही है जहां पर कटिंग से खतरा पैदा होने की संभावना हो रही है। उपायुक्त ने कहा कि दूसरी कमेटी का गठन कैथलीघाट से लेकर ढली तक चल रहे फोरलेन निर्माण कार्य की स्टेटस रिपोर्ट को लेकर किया गया है। इस कमेटी का गठन अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी प्रोटोकॉल ज्योति राणा की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें 12 सदस्य होंगे।

बादलों से लोग खौफजदा, 407 करोड़ का नुकसान

हिमाचल में मानसून के बादलों से लोग अब खौफजदा हैं। बीते तीन सालों से प्रदेश में बादल फटने अथवा अतिवृष्टि से आने वाली बाढ़ ने सैकड़ों जिंदगियां लील ली हैं। प्रदेश में बादल फटने की घटनाओं को विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के असर के तौर पर देख रहे हैं। इसके अलावा अवैज्ञनिक निर्माण, मानव गतिविधियों में इजाफा और फोरलेन व अन्य सड़काें के निर्माण के लिए पहाड़ों के सीने को छलनी करना भी इसकी एक वजह मानी जा रही है। प्रदेश के विशेष सचिव राजस्व एवं निदेशक आपदा प्रबंधन डीसी राणा भी बादल फटने की घटनाओं को जलवायु परिवर्तन के असर के तौर पर देख रहे हैं। नेपाल स्थित संस्था इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटिग्रेटिड माउंनटेन डेवलेपमेंट (आईसीआईएमओडी) के अध्ययनों के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग का सबसे अधिक असर हिमालय पर पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश ने जबरदस्त तबाही मचाई है। इससे अब तक सरकारी संपत्तियों को 407 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है और यह आंकड़ा और बढ़ने की आशंका है। बीते दो दिनों में ही प्रदेश भर में 164 पशुओं की मौत हुई है। इस दौरान 154 मकानों को नुकसान पहुंचा जबकि 106 गौशालाएं पूरी तरह तबाह हो गईं। बारिश और भूस्खलन के चलते 14 पुलों को नुकसान पहुंचा है। फिलहाल प्रदेश भर में पांच राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिनमें 357 लोग शरण लिए हुए हैं। प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है, लेकिन लगातार बारिश की वजह से चुनौतियां बरकरार हैं।

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