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75 वर्ष से गरीबी हटाओ के नारे पर लड़े जा रहे चुनाव : राधा कुमार

खुशवंत सिंह लिट फेस्ट -2024

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कसौली में आयोजित खुशवंतसिंह लिट फेस्ट के दूसरे दिन के वक्ता सरबप्रीत सिंह के साथ सिखों का उदय विषय पर चर्चा करतीं दि ट्रिब्यून ग्रुप की एडिटर-इन- चीफ ज्योति मल्होत्रा।
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यशपाल कपूर/निस

सोलन, 19 अक्तूबर

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सोलन की हिल क्वीन कसौली में चल रहे खुशवंत सिंह लिटरेरी फेस्टिवल के दूसरे दिन भारत-चीन के रिश्तों में आई तल्खी पर भी चर्चा हुई। दिन के एक महत्वपूर्ण सत्र में वक्ता कांति बाजपेयी, अनंत कृष्णन और द न्यूयॉर्क टाइम्स के प्रमुख व्यापार और अर्थशास्त्र संवाददाता एलेक्स ट्रैवेली ने ‘भारत की चीन चुनौती’ पर विस्तार से वार्ताकार सुहासिनी हैदर के साथ चर्चा की। अनंत कृष्णन ने कहा कि पिछले दो वर्षों में भारत ने चीन से आज तक का सबसे ज्यादा आयात किया। उन्होंने कहा कि आज भी इलेक्ट्रानिक समेत कई ऐसी वस्तुएं हैं, जिन पर भारत चीन पर निर्भर है। हम महज एक पक्ष दिखा कर अपना माइंडसेट बना लेते हैं, ऐसा नहीं है। वक्ता कांति बाजपेयी ने भारत-चीन संबंधों की जटिलताओं, विशेष रूप से चल रहे सीमा गतिरोध पर चर्चा की। चर्चा में बताया कि भारत और चीन की सीमा करीब 3500 किलोमीटर की है। उन्होंने भारत-चीन के भगवान बुद्ध से लेकर, 15वीं शताब्दी से अंग्रेजों के शासन और 1962 युद्ध तक के तर्क दिए। साथ ही इमेज प्रोब्लम, सीमा विवाद, तिब्बत, दलाईलामा से लेकर चाइना वायरस पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि चीन की जीडीपी इंडिया से पांच गुना अधिक है। साथ ही वक्ताओं ने कहा कि भारत-चीन संबंध के कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक आयामों की खोज की जा सकती है।

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राधा कुमार ने ‘संघर्ष के समय में लोकतंत्र’ पर वार्ताकार भूपेंद्र चौबे के साथ बातचीत की। इसमें वैश्विक संदर्भ में भारत में लोकतंत्र को नवीनीकृत करने की चुनौतियों को उजागर किया। वक्ता राधा कुमार ने कहा कि 1951 से लेकर आज तक गरीबी हटाओ के नाम पर चुनाव लड़े जा रहे हैं। एक अन्य सत्र में वक्ता डॉ. मीरान बोरवणकर, नुसरत जाफरी और डॉ. कल्पना शंकर ने ‘बैड गjर्ल्स गो एवरीवेयर’ पर वार्ताकार सारा जैकब के साथ बातचीत की। विविध क्षेत्रों में बाधाओं को तोड़ने वाली महिलाओं की उल्लेखनीय यात्राओं का जिक्र किया। वक्ताओं ने एक परमाणु वैज्ञानिक, एक शीर्ष पुलिस अधिकारी और एक पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उनकी कहानियां, समाज में महिलाओं की लचीलापन, साहस और परिवर्तनकारी शक्ति का उदाहरण हैं। इस सत्र ने चुनौतीपूर्ण सामाजिक मानदंडों में महिलाओं द्वारा की गई प्रगति को प्रदर्शित किया। इस सत्र में वक्ता अरुंधति सुब्रमण्यम और रक्षंधा जलील की निरुपमा दत्त के साथ बातचीत हुई। रचनात्मकता के विकसित होते रूप पर वक्ता अमित वर्मा ने चर्चा की। इस चर्चा में पॉडकास्ट से लेकर ग्राफिक उपन्यासों और उससे आगे साहित्य के परिदृश्य को बदलने वाले रोमांचक नवाचारों का पता लगा।

सोशल मीडिया एकाउंट में जरूरी हो आधार : साहनी

कसौली में आयोजित खुशवंतसिंह लिट फेस्ट के दूसरे दिन बातचीत करते वक्ता रख्शंदा जलील और विक्रमजीत साहनी ।

एक सत्र में वक्ता रख्शंदा जलील और विक्रमजीत साहनी की वार्ताकार अमित वर्मा के साथ बातचीत हुई। साहनी ने कहा कि जब हम सिम लेेते हैं तो आधार कार्ड लगाता है, लेकिन सोशल मीडिया एकाउंट बनाते समय कुछ नहीं लगता। कुछ माइंडलैस लोग नफरत फैलाने का समाज में काम कर रहे हैं। जलील और साहनी ने विभाजन पर काबू पाने में अंतर-धार्मिक संवाद और सहयोग के महत्व पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।

सिखों के उदय पर हुई चर्चा

एक आकर्षक सत्र में वक्ता सरबप्रीत सिंह ने ‘सिखों का उदय’ पर वार्ताकार ट्रिब्यून ग्रुप की एडिटर-इन- चीफ ज्योति मल्होत्रा के साथ बातचीत की। उन्होंने चर्चा में सिख समुदाय की ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन किया। सरबप्रीत सिंह ने सिख पहचान और ताकत को आकार दिया । सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयामों पर बातचीत की। वक्ता ने श्रोताओं को इतिहास और प्रेरणा की समृद्ध कथा से जोड़ा। उन्होंने गुरवाणी में बृज भाषा का पुट, पटियाला और सिख पंथ पर बेबाकी से अपने विचार रखे।

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