डीजीसीए के नियम में फंसी उड़ान : रामपुर बुशहर का हेलिपोर्ट बना शोपीस, आसमान में डेढ़ साल से सन्नाटा
रामपुर बुशहर उपमंडल के शिंगला में वर्ष 1996 में एक साधारण हेलीपैड बना था। केंद्र की ‘उड़ान-2’ योजना के तहत 2021 में इसे अपग्रेड कर हेलिपोर्ट का दर्जा मिला। इसके साथ ही मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को हेली सेवाएं शुरू हुईं। स्थानीय लोगों के लिए यह सुविधा राहत की सांस थी। रामपुर से शिमला की दूरी जो बस से तीन घंटे से अधिक में तय होती थी, अब मात्र 20 मिनट में पूरी हो रही थी। आपातकालीन परिस्थितियों में मरीजों को समय पर शिमला पहुंचाना भी संभव हुआ।
तकनीकी नियम बना रोड़ा
डीजीसीए के मानकों के मुताबिक, किसी भी सक्रिय हेलिपोर्ट के 30 किलोमीटर के दायरे में बम निरोधक दस्ता होना अनिवार्य है। शिंगला हेलिपोर्ट के लिए यह सुविधा केवल शिमला के भराड़ी स्थित पुलिस लाइन में है, जो मानक दूरी से काफी अधिक है। यही कारण है कि डेढ़ साल से यहां सेवाएं ठप हैं।
लोगों की नाराजगी, उम्मीदें भी
स्थानीय निवासियों का कहना है कि हेलिपोर्ट सिर्फ यात्रा का साधन नहीं, बल्कि रामपुर जैसी दूरस्थ जगह की जीवनरेखा है। उनका मानना है कि सरकार को तुरंत बम निरोधक दस्ता नजदीक तैनात करना चाहिए या डीजीसीए से किसी वैकल्पिक व्यवस्था पर सहमति बनानी चाहिए। विशेषज्ञों का सुझाव है कि या तो रामपुर में स्थायी बम निरोधक दस्ता स्थापित किया जाए या पास के किसी रणनीतिक स्थान पर इसकी तैनाती हो। सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार इस मुद्दे पर डीजीसीए को नए प्रस्ताव भेजने पर विचार कर रही है, ताकि सेवाएं जल्द बहाल हो सकें।