Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

हाटी समुदाय मामले में 7 जुलाई से अंतिम सुनवाई

शिमला, 2 जून (हप्र) हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 7 जुलाई को अंतिम सुनवाई होगी। जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुशील...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

शिमला, 2 जून (हप्र)

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 7 जुलाई को अंतिम सुनवाई होगी। जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि उस दिन किसी भी सूरत में मामले की सुनवाई को नहीं टाला जाएगा। हाईकोर्ट ने इस संबंध में जारी कानून के अमल पर रोक लगा रखी है। कोर्ट ने जनजातीय विकास विभाग हिमाचल प्रदेश के एक जनवरी 2024 को जारी उस पत्र पर भी रोक लगाई है, जिसके तहत उक्त क्षेत्र के लोगो को जनजातीय प्रमाण-पत्र जारी करने बाबत जिलाधीश सिरमौर को आदेश जारी कर दिए थे। उल्लेखनीय है कि जनजातीय दर्जे को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा यह मामला वर्ष 1995, 2006 व 2017 में केंद्र सरकार के समक्ष भेजा गया था और केंद्र सरकार ने हर बार इस मामले को तीन प्रमुख कारणों से नकार दिया था। इन कारणों में एक तो उक्त क्षेत्र की जनसंख्या में एकरूपता का न होना बताया गया, दूसरा हाटी शब्द सभी निवासियों को कवर करने वाला एक व्यापक शब्द है जबकि तीसरा कारण था कि हाटी किसी जातीय समूह को निर्दिष्ट नहीं करते हैं।

Advertisement

कोर्ट ने प्रथम दृष्टया इन उपरोक्त तथ्यों के दृष्टिगत कानूनी तौर पर इन्हें जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिया जाना बाजिब नहीं पाया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिना जनसंख्या सर्वेक्षण के ही उक्त क्षेत्र की जनजातीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया। अलग अलग याचिकाओं में यह दलील दी गई है कि वे पहले से ही अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति से सम्बंध रखते है। प्रदेश में कोई भी हाट्टी जनजाति नहीं है और आरक्षण का अधिकार हाट्टी के नाम पर उच्च जाति के लोगों को भी दे दिया गया जो कि कानूनी तौर पर गलत है।

Advertisement
×