सोलन में नेत्रदान पखवाड़ा : कविताओं और संदेशों से गूंजा सभागार
एमएमयू मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि भारत को हर साल दो लाख नेत्रों की जरूरत होती है, जबकि केवल 20 हजार दान ही हो पाते हैं। इसके विपरीत श्रीलंका में 80% आबादी बौद्ध धर्मावलंबी है और वहां नेत्रदान को जीवन का सबसे बड़ा दान माना जाता है। सोलन अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका ने कहा कि नेत्रदान एक आसान प्रक्रिया है, जो मृत्यु के 4 से 6 घंटे के भीतर संभव है। इस अवसर पर नेत्रदान की प्रतिज्ञा लेने वाले लोगों को प्रमाण पत्र भी दिए गए।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण कवि सम्मेलन रहा, जिसमें कवियों ने भावनात्मक और प्रेरक रचनाएं प्रस्तुत कीं। यशपाल कपूर ने कहा कि एक जोड़ी आंखें दे जाओ, किसी की दुनिया रोशन बनाओ, जबकि डॉ. कमल अटवाल ने नेत्रदान की महिमा बतलाता हूं, नेत्रदान की अलख जगाता हूं। कविता के जरिए संदेश दिया। हेमंत अत्रि ने प्रकृति से छेड़छाड़ पर चेताया, वहीं पूजा जायसवाल, मंजूला ठाकुर, राधा चौहान और अन्य कवियों ने अपनी रचनाओं से नेत्रदान और सामाजिक सरोकारों को स्वर दिया।
कार्यक्रम में स्वच्छताग्रह संस्था के सत्येन, सेंट ल्यूक्स संस्था की मलाया और आईसीएसडब्ल्यू की प्रधान शांति जायसवाल समेत कई गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।