तबादला रुकवाने के लिए कर्मचारियों को अब सीधे नहीं करना होगा अदालत का रुख
शिमला, 14 फरवरी
सुक्खू सरकार ने कर्मचारियों को तबादला होने पर राहत देने के फरमान जारी किए हैं। नई व्यवस्था के मुताबिक कर्मचारियों को तबादला रुकवाने के लिए सीधे अदालत का रुख नहीं करना होगा। सरकार ने तबादलों के मामलों में कर्मचारियों को राहत प्रदान करने के मद्देनजर व्यापक मार्ग दर्शक सिद्धांत (सीजीपी) 2013 में प्रावधान किया है। नए प्रावधानों के बाद तबादलों के बाद अदालतों का रुख करने से पहले कर्मचारियों को तबादले करने वाले अधिकारी के समक्ष अपना पक्ष रखना होगा। रिप्रेजेंटेशन के माध्यम से कर्मचारी विभागाध्यक्ष के समक्ष अपना पक्ष रखेगा। संबंधित अधिकारी को 30 दिनों में इसका निपटारा करना होगा। इसके लिए सरकार ने सीजीपी में 22ए धारा को जोड़ा है। 22 ए के जुड़ने के बाद तबादला होने की स्थिति में कर्मचारी को पहले अपने नए स्टेशन पर कार्यभार ग्रहण करना होगा। इसके बाद वह अपने विभागाध्यक्ष के समक्ष पक्ष रखेगा। विभागाध्यक्ष को 30 दिनों के भीतर इसका निपटारा करना होगा। तबादला रद्द होने की स्थिति में कर्मचारी का पुराना स्टेशन बहाल होगा, अन्यथा उसे नई जगह पर ही कार्य करना होगा। सरकार के इस फैसले से सरकारी काम काज प्रभावित नहीं होगा। साथ ही अधिकांश मामलों में कर्मचारियों को अदालतों के चक्कर काटने से भी निजात मिलेगी। माना जा रहा है कि इस तमाम प्रक्रिया के बाद ही कोई कर्मचारी तबादला रद्द करवाने के मकसद से अदालत जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में हर साल हजारों कर्मचारियों के तबादले होते हैं। तबादला करवाने के साथ साथ इसे रुकवाने के लिए भी कर्मचारी सचिवालय के चक्कर काटते हैं। सचिवालय के चक्कर काटने के साथ साथ तब्दील कर्मचारी अदालत में भी सरकार के आदेशों को चुनौती देते हैं। इससे कर्मचारियों को धन की हानि तो होती ही है, सरकारी काम काज भी प्रभावित होता है। लिहाजा अब सरकार ने सीजीपी में बदलाव किया है। इसके बाद प्रदेश सचिवालय में कर्मचारियों की भीड़ भी कम होगी तथा काम काज भी प्रभावित नहीं होगा। विभागीय स्तर पर अधिकारी ही तबादलों के मामले में कर्मचारियों का पक्ष सुनने के बाद फैसला लेंगे।
