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कर्मचारी-पेंशनरों को फिर निराशा, डीए मुद्दे पर सुक्खू सरकार घिरी

हिमाचल प्रदेश के 2 लाख से अधिक कर्मचारियों और 1.90 लाख पेंशनरों को स्वतंत्रता दिवस पर भी महंगाई भत्ते (डीए) के रूप में कोई राहत नहीं मिली। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस मौके पर डीए की घोषणा की उम्मीद...
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हिमाचल प्रदेश के 2 लाख से अधिक कर्मचारियों और 1.90 लाख पेंशनरों को स्वतंत्रता दिवस पर भी महंगाई भत्ते (डीए) के रूप में कोई राहत नहीं मिली। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस मौके पर डीए की घोषणा की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा न होने से कर्मचारी वर्ग में गहरी नाराजगी है। फिलहाल प्रदेश के कर्मचारियों का 13 प्रतिशत डीए लंबित चल रहा है।

सुक्खू सरकार ने इस साल बजट भाषण में 3 प्रतिशत डीए और हिमाचल दिवस (3 अप्रैल) पर एक और 3 प्रतिशत डीए देने का ऐलान किया था। मगर दोनों घोषणाएं अब तक अधूरी हैं। वर्तमान कार्यकाल में सरकार ने केवल दो किश्तें (4-4 प्रतिशत) ही जारी की हैं। इसके बाद 4-4-3-2 प्रतिशत जोड़कर कुल 13 प्रतिशत डीए का बकाया खड़ा हो गया है। वहीं, केंद्र सरकार जुलाई की किश्त जारी कर चुकी है, जिससे केंद्रीय कर्मचारियों का डीए 55 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इसके मुकाबले हिमाचल के कर्मचारी अभी 42 प्रतिशत पर ही अटके हुए हैं।

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स्वतंत्रता दिवस पर कोई घोषणा न होने के बाद हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के तीनों गुट सरकार पर भड़क उठे। संगठनों का कहना है कि सरकार को लंबित डीए चरणबद्ध तरीके से तुरंत देना चाहिए, ताकि कर्मचारियों की बढ़ती आर्थिक चुनौतियों से राहत मिल सके।

त्रिलोकगुट अध्यक्ष त्रिलोक कपूर ने कहा कि महंगाई तेजी से बढ़ रही है। समय पर डीए मिलता तो यह कर्मचारियों के लिए त्यौहारी सीजन में बड़ी राहत होती और परिवार की जरूरतें पूरी करने में सहायक साबित होता। महासंघ के दूसरे गुट के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा कि कर्मचारियों को भरोसा था कि 15 अगस्त पर मुख्यमंत्री राहत देंगे, लेकिन निराशा हाथ लगी। तीसरे गुट के अध्यक्ष विनोद ठाकुर ने सरकार को घेरते हुए कहा कि डीए देने के लिए किसी दिवस की प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं है। सरकार को कर्मचारियों के वित्तीय नुकसान का गंभीरता से समाधान करना चाहिए।

सचिवालय कर्मचारी भी असंतुष्ट

हिमाचल प्रदेश सचिवालय कर्मचारी सेवाएं महासंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने बताया कि संगठन इस मुद्दे पर पहले मुख्य सचिव और बाद में मुख्यमंत्री से मिल चुका है। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक सिर्फ दो किश्तें दी हैं। बाकी डीए लगातार पेंडिंग है और कर्मचारी वर्ग लगातार नुकसान झेल रहा है।

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