शिमला, 4 अगस्त (निस)
ऊर्जा राज्य हिमाचल प्रदेश में बिजली सस्ती नहीं होगी। ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने आज प्रदेश विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि हिमाचल में देशभर में पहले से ही सबसे कम दरों पर बिजली उपलब्ध करवाई जा रही है। ऐसे में इसकी दरों में और कमी करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। विधायक रमेश धवाला के एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2049-20 में प्रदेश में बिजली की कीमतों में पांच पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की थी। इसके बाद प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई। उन्होंने ये भी कहा कि बिजली के घरेलू उपभोक्ताओं को अलग-अलग स्लैब पर सबसिडी दी जा रही है।
कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा के सवाल के लिखित जवाब में महेंद्र सिंह ने कहा है कि प्रदेश के भू-अधिनियम की धारा-118 के तहत जिन लोगों को जमीन खरीदने की मंजूरी मिली है, उन्हें दो वर्ष के भीतर अपना काम शुरू करना होगा। यदि वे दो साल की तय समयावधि के भीतर काम शुरू नहीं कर पाए तो सरकार उन्हें किसी भी तरह की कोई विशेष छूट नहीं देगी। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल के भीतर प्रदेश में ऐसे 27 आवेदनकर्ता हैं, जिन्होंने दो साल के भीतर काम शुरू नहीं किया। उन्होंने बताया कि 31 जनवरी 2021 तक धारा-118 के तहत 234 मामलों को मंजूरी प्रदान की गई है।
भाजपा सदस्य रमेश धवाला के सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि राज्य सरकार ने लोक निर्माण विभाग में पिछले तीन साल के भीतर सहायक और कनिष्ठ अभियंताओं के 509 पदों को भरा है। विभाग में सेवानिवृत्ति और स्थानांतरण के कारण खाली हुए 166 पदों को भी सरकार जल्द भरने जा रही है। उन्होंने बताया कि विभाग में 209 पद सीधी भर्ती से तथा 300 पद पदोन्नति से भरे गए हैं। मुख्यमंत्री ने विधायक मुलख राज के एक सवाल के जवाब में कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र की नाबार्ड के तहत विधायक प्राथमिकता योजना के अधिकतम सीमा 135 करोड़ रुपए तय की गई है। बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र के तहत विधायक प्राथमिकता के तहत 10 योजनाओं के लिए नाबार्ड से 35.14 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। इसके अलावा बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र की नाबार्ड के पास मंजूरी के लिए लंबित पड़ी है। हिमाचल सरकार घाटे में चल रहे 63 डिपुओं को बंद करने जा रही है।
8 चरागाह मार्ग किये गये डिजिटाइज : वन मंत्री
वन मंत्री राकेश पठानिया ने आज शिमला में चराई सलाहकार पुनर्वलोकन समिति की 47वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार समाज के प्रत्येक वर्ग, विशेषकर राज्य के चरवाहों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि चराई हमारी प्राचीन समृद्ध संस्कृति का प्रतिबिम्ब है और इसे संजोए रखना आवश्यक है। बैठक के दौरान वन मंत्री ने चरवाहों के वन विभाग से संबंधित मुद्दों की समीक्षा की और उनके द्वारा उठाई गई उचित मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने झुंड के साथ चलने वाले वास्तविक चरवाहों की पहचान करने के निर्देश दिए ताकि उनके पशुधन को चोरी होने से बचाया जा सके। इनके लिए सलीपिंग बैग के साथ सोलर मोबाइल चार्जर और कम भार वाले टेंटों का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि चराई परमिट की समय अवधि को तीन वर्ष से बढ़ाकर छः वर्ष करने के प्रयास किए जाएंगे। वन मंत्री ने अधिकारियों को चरवाहों की व्यापक आवाजाही वाले मार्गों की पहचान करने और उनकी सुविधा के लिए मार्गों को डिजिटाईज करने के निर्देश दिए।